संसद में होने वाले मानसून सत्र के दौरान किसानों ने विरोध करने की योजना बनाई
वहीं पर उनका रहना, खाना चल रहा है और एक संगठन भी बना लिया जिसका नाम “समयुक्त किसान मोर्चा” है। समयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में पता चला कि किसानों ने संसद में होने वाले मानसून सत्र,जो 19 जुलाई से शुरू है, उसके विरोध करने की योजना बनाई है। साथ ही यह भी बतया कि यह विरोध तब तक चलेगा जब तक मानसून सत्र ख़तम नहीं होगा। जिसका मतलब यह है कि विरोध हर रोज़ संसद के बाहर मानसून सत्र के दौरान चलेगा।
उस विरोध से पहले समयुक्त किसान मोर्चा, किसानों के साथ मिलकर 8 जुलाई को देशव्यापी भी विरोध करेंगे। यह विरोध सुबह 10 बजे से लेकर रात 12 बजे तक करेंगे। डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दामों के खिलाफ इस विरोध को करने का निर्णय लिया गया हैं।
समयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि “हर रोज़ 5 सदस्य प्रति संगठन से और कम से कम 200 विरोधी विरोध करने, सत्र के दौरान सांसद के बाहर बैठेंगे”।
भारतीय किसान यूनियन के मुख्य बूटा सिंह बुर्जगिल का कहना है कि “17 जुलाई को हम विपक्षी दलों के नेताओं के घर जाएंगे और उन्हें चेतावनी पत्र देंगे। हमारा अनुरोध होगा कि या तो घर में उनकी चुप्पी तोड़ दें या फिर अपनी सीट छोड़ दें। पांच दिन बाद, लोगों का एक बड़ा समूह सिंघू बॉर्डर को छोड़कर संसद पहुंचेगा और विपक्ष को अंदर की कार्यवाही को बाधित करने के लिए कहेगा। हम बाहर बैठेंगे, हम इसे दोहराते रहेंगे; यह विरोध करने की हमारी योजना है।”
किसानों ने दावा किया कि वे विरोध बहुत ही शांतिपूर्वक करेंगे और कानून को भंग करने का कड़ा संदेश दे सकेगे। हाल ही में किसानो ने स्थानीय लोगों की बेदखली के बारे में बताया, जो खोरी गांव फरीदाबाद में है और उनके खिलाफ भी विरोध करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा से गुरुनाम सिंह चढूनी ने बोला कि “कुछ दिन पहले ही खोरी गांव में लाठी चार्ज हुआ था। 6 जुलाई को हम प्रधानमंत्री के घर में विरोध प्रदर्शन करेंगे और सरकार से लोगों को बचाने के विकल्पों पर विचार करने का आग्रह करेंगे। ग्रामीणों को अलग जगह भी दी जा सकती है। सात पांच सितारा होटल हैं और वे अछूते हैं। सड़कों पर उतरेंगे ये 1 लाख लोग”।