जानिए पाकिस्तान का जिगरी दोस्त और अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के फैसले पर क्या कहा
अफगानिस्तान से नाटो सैनिकों के वापसी के फैसले पर चीन ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है। उसने अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी का स्वागत करते हुए कहा कि इससे देश को अपने लोगों की नियति अपने हाथों में लेने का एक नया मौका मिलेगा। हालांकि चीन ने ये जरूर कहा कि विद्रोही तालिबान से आतंकवादी समूहों के साथ सभी तरह के संबंधों को खत्म किया जाए। विदेश मंत्री वांग यी ने तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में मंगलवार को कहा कि अमेरिका 20 सालों से अपने सैन्य बलों के साथ अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए था। लेकिन विफल रहा इस पर अमेरिका को पुनर्विचार करना चाहिए।
मंत्रालय की वेबसाइट पर बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार वांग ने कहा, ‘‘अमेरिका और नाटो के अफगानिस्तान छोड़ने के साथ, अफगान लोगों के पास अपने देश और अपने लोगों की नियति को अपने हाथों में लेने का एक नया अवसर है।’’ उन्होंने तालिबान से कहा उन्हें सभी आतंकवादी ताकतों के साथ अपने संबंधों को खत्म कर देश तथा लोगों के प्रति जिम्मेदार रवैये अपनाकर अफगानिस्तान की राजनीतिक मुख्यधारा में वापस आए।
इधर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक बैठक में कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य उसके अतीत पर निर्भर नहीं कर सकता और दुनिया हिंसा और बल द्वारा सत्ता हथियाने के खिलाफ है। ऐसे कृत्यों को वैध नहीं ठहराया जायेगा।
विदेश मंत्री ने दुशांबे में अफगानिस्तान पर एससीओ विदेश मंत्रियों के संपर्क समूह की बैठक में शामिल हुए थे। अपने इस संबोधन में उन्होंने “अफगानिस्तान के पड़ोसियों को आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ से खतरा नहीं हो इसको सुनिश्चित करने के समर्थन पर जोर दिया।” शंघाई सहयोग संगठन के संपर्क समूह की बैठक तब हुई है जब अमेरिका ने 31 अगस्त तक अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा कर चुका है। और अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा वैश्विक स्तर पर चिंताओं को बढ़ा रहा है।