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दुनिया आज भारत के ब्लू इकोनॉमी संसाधनों को पहचानती है और जमैका में मुख्यालय वाले इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी ने आधिकारिक तौर पर भारत को “अग्रणी निवेशक” के रूप में नामित किया है- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि दुनिया आज भारत की ब्लू इकोनॉमी संसाधनों को पहचानती है और जमैका में मुख्यालय वाले इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी ने आधिकारिक तौर पर भारत को “अग्रणी निवेशक” के रूप में नामित किया है।

मंत्री ने यह बात तब कही जब इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी के महासचिव, माइकल डब्ल्यू लॉज, जो वर्तमान में भारत की यात्रा पर हैं, ने पृथ्वी भवन में उनसे मुलाकात की। माइकल लॉज के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी था जिसने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन के नेतृत्व में भारतीय टीम के साथ एक विस्तृत बैठक की।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार ब्लू इकोनॉमी को उच्च प्राथमिकता दी गई है और अब इसे विश्व स्तर पर मान्यता मिल रही है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने 2021 और 2022 में लगातार दो साल अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में भारत के डीप सी मिशन का जिक्र किया।

इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (आईएसए) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में पीएमएन (पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स) अन्वेषण विस्तार अनुबंध का आदान-प्रदान किया। इस अनुबंध पर शुरुआत में 25 मार्च 2002 को 15 साल की अवधि के लिए हस्ताक्षर किए गए थे जिसे बाद में प्राधिकरण द्वारा 2017 और 2022 के दौरान 5 साल की अवधि के लिए दो बार बढ़ाया गया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया और कहा कि भारत अपने 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र के साथ समुद्री संसाधनों की खोज और उपयोग में एक हितधारक होने के साथ-साथ एक योगदानकर्ता भी है। डॉ. सिंह ने आईएसए द्वारा भारत को विशेष हितों वाले ‘अग्रणी निवेशक’ की श्रेणी में नामित किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि भारत का डीप-सी मिशन प्रधानमंत्री मोदी के तहत भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि मिशन के लिए 600 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, जो भारत की समुद्री क्षमताओं को सामने लाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में इस सेक्टर का भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान रहने वाला है। मंत्री ने समुद्रयान की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का भी उल्लेख किया, जो भारत को उन देशों की विशिष्ट सूची में शामिल करेगा, जिन्होंने समुद्र की इतनी गहराई तक खोज करने की ऐसी उपलब्धि हासिल की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के विशाल समुद्री हितों पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत में ब्लू इकोनॉमी का देश के आर्थिक विकास के साथ एक महत्वपूर्ण संबंध है। उन्होंने कहा कि भारत समुद्री और समुद्री क्षेत्रों में सतत विकास का समर्थन करने के लिए दीर्घकालिक रणनीति के एक हिस्से के रूप में “ब्लू ग्रोथ” का प्रबल समर्थक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपनी व्यापक ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी फ्रेमवर्क लाने की प्रक्रिया में है, जिसका उद्देश्य तटीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन, समुद्री मत्स्य पालन, प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, नौवहन, गहरे समुद्र में खनन और क्षमता निर्माण को समग्र रूप में कवर करना है। ।

मंत्री ने कहा कि ब्लू इकोनॉमी का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र की समुद्री आर्थिक गतिविधियों के भीतर स्मार्ट, टिकाऊ और समावेशी विकास और अवसरों को बढ़ावा देना और समुद्री संसाधनों, अनुसंधान और विकास के सतत दोहन के लिए उपयुक्त कार्यक्रम शुरू करना है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अपने नोडल संस्थान राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे अन्य संबद्ध राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से सर्वेक्षण और अन्वेषण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, प्रौद्योगिकी विकास (खनन), और प्रौद्योगिकी विकास (निष्कर्षण धातुकर्म) जैसे घटकों को कवर करते हुए पीएमएन अन्वेषण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कार्यक्रम का अंतिम उद्देश्य टेस्ट माइनिंग साइट (टीएमएस) पर पायलट माइनिंग को प्रदर्शित करने के लिए प्रारंभिक कार्य को पूरा करना है। इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न गतिविधियां कार्यान्वयन के अधीन हैं और प्रारंभिक कार्य की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जिसकी सूचना आईएसए को समय-समय पर वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के माध्यम से दी गई है।

आईएसए के महासचिव, श्री लॉज ने कहा कि भारत एनर्जी ट्रांसमिशन के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है और आईएसए आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के साथ सभी संभावित मोर्चों पर काम करने की उम्मीद कर रहा है।