रामनवमी-हनुमान जयंती पर हुई हिंसा को लेकर पूर्व सीजेआई की अध्यक्षता में नहीं होगी जांच
सुप्रीम कोर्ट ने देश में रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर भड़की हिंसा की न्यायिक जांच को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘उस राहत के लिए मत पूछो जो इस अदालत द्वारा नहीं दी जा सकती।’
कोर्ट में बहस के दौरान वकील विशाल तिवारी ने कहा कि देश में स्थिति चिंताजनक है और केवल एकतरफा जांच चल रही है। इसके जवाब में बेंच ने कहा, ‘आप एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच चाहते हैं। क्या कोई फ्री है? आप पता लगाएं और हमें बताएं।’
बता दें कि हाल ही में रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान देश के कुछ राज्यों में हिंसा भड़की थी। इन घटनाओं की जांच की मांग को लेकर पीआईएल दायर की गई थी। याचिका में हिंसा की जांच पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में कराने की मांग की गई थी। ये याचिका वकील विशाल तिवारी ने दाखिल की है। पीआईएल को जस्टिल एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की बेंच ने खारिज किया है।
याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में “बुलडोजर न्याय” की मनमानी कार्रवाई की जांच के लिए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता के तहत एक न्यायिक जांच आयोग के गठन के लिए निर्देश देने की भी मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि इस तरह के कार्य पूरी तरह से भेदभावपूर्ण हैं और लोकतंत्र और कानून के शासन की धारणा में फिट नहीं होते हैं. ऐसे व्यक्तियों से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत जीवन और समानता के अधिकार के तहत उल्लंघन किया जाता है।