तनाव भरी जिंदगी में खुश रहने के नुस्ख़े
अरस्तू ने अपने निकोमैचियन एथिक्स में खुशी का सिद्धांत दिया है जिसमें कहा है- खुशी वह अंत है जो सभी जरूरतों को पूरा करती है। लगभग हर चीज जो हम चाहते हैं, वह अच्छे रिश्ते, पैसा, सफलता या शक्ति है क्योंकि हम मानते हैं कि ये हमें खुश करेंगे।बाकी सब कुछ खुशी प्राप्त करने की दिशा में एक साधन है और खुशी अपने आप में एक अंत है। खुशी अपने आप में एक लक्ष्य है और यह पुण्य पर निर्भर करती है। दीपक हमेशा रोशनी देता है उसी प्रकार खुश इंसान खुशी फैलाता है। खुशी मन की वह अवस्था है जहां आप सुकून और प्रसन्न महसूस करते हैं।
मानवीय इच्छाएं बहुत अधिक होती हैं। अपनी इच्छाओं को सीमित कर आप अधिक खुश रह सकते हैं। जीवन में खुशी हमेशा सकारात्मकता की भावना जागृत करता है। खुश रहने से लोग शांति महसूस करते है और मनुष्य को मुस्कुराने में मदद मिलती है। एक स्वस्थ जीवन में प्रसन्नता का होना बेहद जरुरी माना गया हैं। महात्मा गाँधी कहते है – “खुशी तब मिलेगी है जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं, और जो करते हैं, इनमे समानता हो।” जीवन में खुशी पाने में एक बड़ी बाधा नकारात्मक विचार होते है जो केवल क्षोभ, चिंता, भय, दुःख एवं उदासी का कारण बनते हैं।
इसलिए इस तरह के भावों को अपने मन में जगह मत दीजिए। इस प्रवृत्ति से बचकर अपने अच्छे अतीत के खुशी के पलो को सजोकर रखे उन्हें अपनो के साथ साझा करते रहे। बुद्ध का मानना था कि खुशी पीड़ा के मुख्य कारणों को समझने से शुरू होती है। बुद्ध ने एक आठ सूत्रों से सम्बंधित रास्ता बताया है जिससे दिमाग को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और अंततः खुशी को पाने में सहायता मिलती है। यह विचार आपको यह सिखाता है कि अतीत या भविष्य के बारे में चिंता ना करें और वर्तमान में जिएं।
वर्तमान ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां आप शांति और खुशी का अनुभव कर सकते हैं।मानसिक शांति को विकसित करके ज्ञान और अभ्यास द्वारा सच्ची खुशी प्राप्त की जा सकती है और इसे स्वयं की जरूरतों, इच्छाओं और जुनूनों से अलग करके हासिल किया जा सकता है। इस तनावपूर्ण दुनियां में खुशी के दो पल जीने की हर इंसान की कोशिश रहती है जिसे अपने कृत्यों से पाने की कोशिश करनी चाहिए।
बीते कुछ सालों की तुलना में दुनिया की औसत प्रसन्नता दर में भारी कमी आई है। भूटान से ही प्रसन्नता को मापने की अवधारणा आरम्भ हुई थी। यह रिपोर्ट प्रति व्यक्ति आय, जीडीपी, स्वास्थ्य, सामाजिक सहयोग, आपसी विश्वास, जीवन संबंधी फैसले लेने की स्वतंत्रता तथा उदारता जैसे संकेतकों पर तैयार की जाती है। अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की अवधारणा भूटान के ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस (जीएनएच) संकल्पना पर आधारित है।
भूटान की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2013 में 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में घोषित किया है। इसका उद्देश्य खुशी के महत्व को समझाना है। विश्व भर में यह दिवस खुशी के महत्व को समझने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी प्रसन्नता रिपोर्ट 2020 में भारत को 153 देशों में 144वां स्थान मिला था। इस सूची में फिनलैंड पहले नंबर पर रहा था।
खुश रहने के मूलमंत्र:-
– 30-40 मिनट तक रोजाना ठहाके लगाकर हंसना।
– दोस्तों से गपशप करना, मन की बात करना।
– दूसरों का भला, समाजसेवा करना।
– सकारात्मक सोचें, निराशाजनक बातें न करें।
– पसंदीदा संगीत, चुटकले सुनना और सुनाना।
– योग-ध्यान करना, खुद को सृजनात्मक कार्यों में व्यस्त रखें।
– पुराने दोस्तों-रिश्तेदारों से बात कर यादें ताजा करना।
– आर्थिक-सामाजिक रूप से किसी से खुद की तुलना से बचें।
– कार्यालय के माहौल को बोझिल न बनाएं, व्यवहार कुशल बनें।
– कार्य को लंबित न रखें, दिनचर्या सुधारें।
नृपेन्द्र कुमार