वैज्ञानिक नवाचार में शिक्षा क्षेत्र और उद्योग को आवश्यक हितधारक बनाने के लिए एक संस्थागत तंत्र विकसित किया जाएगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
केंद्रीयमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि वैज्ञानिक नवाचार में शिक्षा क्षेत्र (अकादमिक) और उद्योग को आवश्यक हितधारक बनाने के लिए एक संस्थागत तंत्र विकसित किया जाएगा।
नई दिल्ली में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर विज्ञान) की शैक्षणिक उप-समिति को संबोधित करते हुए, मंत्री ने शिक्षा और उद्योग के बीच विश्वास की कमी को पाटने का आह्वान किया और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए उदार और तर्कसंगत वित्त पोषण की आवश्यकता को रेखांकित किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने हाल ही में प्रमुख उद्योग घरानों के प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित किया था, जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद –उद्योग सम्बन्ध को मजबूत करने के लिए सीएसआईआर समिति के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा कि बैठक में मौजूद देश के प्रमुख शिक्षा विशेषज्ञों की इस मंडली को इस बात पर विचार करना चाहिए कि देश में नवाचार को बढ़ावा देने और उद्यमिता को उत्प्रेरित करने के लिए शिक्षा क्षेत्र, उद्योग और सरकार एक साथ कैसे काम कर सकते हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि नवाचार के तिहरे कुंडली प्रतिदर्श अर्थात ट्रिपल हेलिक्स मॉडल यानी उद्योग, विश्वविद्यालयों और सरकार में तीनों हितधारकों की ज्ञान सृजन, आविष्कार और नवाचार के माध्यम से देश में सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निहित है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई शिक्षा नीति और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन (एसटीआईपी) नीति जैसी विभिन्न पहलों और सुधारों के माध्यम से नवाचार के लिए मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है। उन्होंने कहा कि ड्रोन के उपयोग या भू-स्थानिक डेटा के अधिग्रहण और उत्पादन को नियंत्रित करने वाली नीतियों के उदारीकरण में हालिया सुधार नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। मंत्री महोदय ने आगे कहा कि साइबर भौतिक प्रणालियों और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे नए युग की प्रौद्योगिकियों के लिए निवेश और प्रतिबद्धता एक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार के संकल्प का परिचायक है।
मंत्री ने कहा, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर विजयराघवन के नेतृत्व में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) के पुन:स्थापन की रिपोर्ट को सार्वजनिक निजी भागीदारियों (पीपीपीज) और नवाचार पार्क तैयार करने के संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे विश्वविद्यालयों, सीएसआईआर और उद्योग को एक साथ साझेदारी करने की अनुमति मिलती है। साथ ही इससे भारत को दुनिया में एक अग्रणी वैज्ञानिक शक्ति बनाने के लिए अगले 25 वर्षों में देश के सतत विकास के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकियों को लचीलेपन और चपलता के साथ आगे उपयोग की उस समय अनुमति मिलती है जब देश स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे कर रहा हो।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक मजबूत आईपी पोर्टफोलियो के साथ वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित संगठन होने के नाते विश्वविद्यालयों में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर सकता है और इस साझेदारी से न केवल विश्वविद्यालयों और सीएसआईआर को लाभ होगा बल्कि इससे प्रेरित होकर उद्योग नए आविष्कारों और नवाचारों को लाकर विकास को भी गति दे सकेंगे।
उन्होंने सीएसआईआर से इनोवेशन पार्क जैसे जुड़ाव के उपयुक्त मॉडल लाने का आह्वान किया, जहां एक ओर यह विश्वविद्यालयों और राष्ट्रीय संस्थानों के उत्कृष्ट मौलिक अनुसंधान का लाभ उठाएगा वहीं दूसरी ओर यह प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक प्रयोगों और प्रसार में उद्योगों को मजबूत करेगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे अंतःविषयी और परस्पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा जिससे अंततोगत्वा नवाचार के अनुपात को प्रोत्साहन भी मिलेगा।
कोविड-19 को नियंत्रित करने के मोर्चे पर में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा निभाई गई विशिष्ट भूमिका का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश ने हाल ही में 100 करोड़ टीकाकरण तक पहुंचने का महत्वपूर्ण पड़ाव देखा है। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में उल्लेखनीय है और देश भर में हमारे वैज्ञानिक समुदाय, उद्योग, डॉक्टरों और अनगिनत स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के ‘कर सकते हैं’ वाली इच्छा शक्ति का एक प्रमाण है।
उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि सीएसआईआर ने उद्योग और आयुष के साथ साझेदारी में कई नैदानिक परीक्षण किए हैं ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने एसएआरएस–सीओवी-2 के में वायु में संचरण को कम करने से संबंधित मुद्दों का समाधान करने में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद के हालिया प्रयास की भी सराहना की जिसके अंतर्गत भारत की संसद में इसकी प्रौद्योगिकी स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर ने पीपीई सूट के पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) के लिए एक नई पहल भी शुरू की है, और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के साथ साझेदारी में सीएसआईआर- राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) द्वारा पुणे में एक पायलट परीक्षण भी स्थापित किया गया था।
मंत्री ने आग्रह किया कि इसे उद्योग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और अन्य सम्बन्धित पक्षों के साथ साझेदारी में बड़े पैमाने पर किया जाना चाहिए क्योंकि पीपीई कचरे का निपटान एक बहुत बड़ी चुनौती है और सरकार के कचरे से सम्पदा (वेस्ट टू वेल्थ) जनादेश की प्रतिबद्धता को पूरा करना एक उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसन्धान परिषद (सीएसआईआर) – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित पीवीएसए प्रौद्योगिकी पर आधारित मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन (एमओ2) कंसेंट्रेटर सिस्टम की 108 इकाइयां पीएम केयर्स से वित्त पोषण के साथ स्थापित की गईं और सीएसआईआर द्वारा इन्हें बहुत ही कम समय में चालू भी कर दिया गया।