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लद्दाख के प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम से नए केंद्र शासित प्रदेश को देश की मुख्यधारा में जोड़ने में मदद मिलेगी: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 5 अगस्त 2019 को लिए गए ऐतिहासिक निर्णय से लद्दाख में सभी प्राकर की नई संभावनाएं आएंगी क्योंकि प्रधानमंत्री इसके विकास के एजेंडे और प्रगति की निरंतर निगरानी कर रहे हैं।

लेह और कारगिल में लद्दाख के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रशिक्षण से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को भारत की मुख्यधारा में एकीकृत करने में कामयाबी मिलेगी जोकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है। नई दिल्ली स्थित भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), ने 22-26 नवंबर 2021 के दौरान लेह और कारगिल में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए फिजिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि लद्दाख के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए सामान्य वित्तीय नियमों यानी जीएफआर व सरकारी खरीद पर आधारित क्षमता निर्माण कार्यक्रम नए केंद्र शासित प्रदेश को पूरी तरह से नया प्रशासनिक ढांचा बनाने में मदद करेगा, क्योंकि लद्दाख के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद, प्रशासन केंद्र सरकार नियमों के अनुसार बदल गया है।

उन्होंने कहा कि लद्दाख में पहले के जम्मू-कश्मीर राज्य के नियमों के बदले अब केंद्र सरकार के नियमों जैसे- सामान्य वित्तीय नियम, केंद्र सरकार की खरीद नियमावली, आचरण के नियम आदि का पालन हो रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी लद्दाख के लिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और उन्होंने आईआईपीए की ओर से सभी प्रकार की मदद का आश्वासन दिया।

इससे पहले, इस साल सितंबर में डॉ. जितेंद्र सिंह ने डीएआरएंडपीजी द्वारा लेह में लद्दाख के अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया था। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक केंद्रीय मंत्रालय और विभाग में लद्दाख के विकास प्रतिमान को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि लद्दाख का प्रत्येक नागरिक अब सीपीजीआरएएमएस के माध्यम से अपनी शिकायत का निवारण कर सकता है क्योंकि लद्दाख में अब यह काम करने लगा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि लद्दाख में सरकारी अधिकारियों को खरीद और वित्तीय प्रबंधन से संबंधित केंद्रीय कानूनों कार्यालय प्रक्रिया की केंद्रीय सचिवालय नियमावाली (सीएसएमओपी), ई-ऑफिस, जीईएम और डिजिटल गवर्नेंस को अपनाने आदि से पूरी तरह परिचित करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए क्षमता निर्माण पर आयोजित यह कार्यशाला इस प्रकार का पहला कार्यक्रम है।

उन्होंने सुधारों को लेकर प्रधानमंत्री के 3 मूल सिद्धांतों का उल्लेख किया जिनमें न्यूनतम सरकार-अधिकतम अधिकार (मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्नेंस), नियम आधारित के बजाय भूमिका आधारित दृष्टिकोण और अगली पीढ़ी के सुधारों की बात कही गई है।

गौरतलब है कि सामान्य वित्तीय नियम (जीएफआर) व आदेशों का संकलन है जिसका अनुपालन सार्वजनिक वित्त से जुड़े मामलों को निपटाने में सभी करते हैं। इन नियमों और आदेशों को सरकार और निर्दिष्ट निकायों के तहत सभी विभागों और संगठनों द्वारा पालन किए जाने वाले कार्यकारी निर्देशों के रूप में माना जाता है, सिवाय इसके कि इन नियमों में अन्यथा प्रदान किया गया हो। सामान्य वित्तीय नियम पहली बार 1947 में जारी किए गए थे, जिसमें वित्तीय मामलों से संबंधित सभी मौजूदा आदेशों और निर्देशों को एक साथ लाया गया था। बाद में इनमें संशोधन किया गया और जीएफआर 1963 और जीएफआर 2005 के रूप में जारी किया गया। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने अपने कामकाज के संचालन के तरीके में अनेक नवाचारी बदलाव किए हैं।