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यूएनईपी को क्रियान्वयन साधनों के प्रश्न पर अधिक ध्यान देना चाहिए: भूपेन्‍दर यादव

केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्‍दर यादव ने नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के 50वें सत्र में राष्ट्रीय वक्तव्य दिया।

पर्यावरण मंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम को 50 वर्ष पूरे करने पर बधाई देकर की, जिसके दौरान इसने वैश्विक समुदाय के लिए असाधारण सेवा प्रदान की है।

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए 1972 से यूएनईपी के साथ जुड़ा हुआ है। यूएनईपी पर्यावरण पर अग्रणी वैश्विक आवाजों में से एक है। यह नेतृत्व प्रदान करता है और यह प्रेरित करके, सूचना और राष्ट्रों तथा लोगों को सक्षम करके पर्यावरण की देखभाल करने में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करता है ताकि लोग भविष्य की पीढ़ियों से समझौता किए बिना अपने जीवन स्तर में सुधार करें।

भूपेन्‍दर यादव ने इस बात पर जोर दिया कि यूएनईपी की 50वीं वर्षगांठ निरंतरता के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने और जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता के संरक्षण और वृद्धि, प्रदूषण तथा कचरे से निपटने सहित हमारे समय की प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक कार्रवाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाई जानी चाहिए।

यादव ने आगे कहा कि हमें आधुनिक विज्ञान और अत्याधुनिक डिजिटल उपकरणों तथा प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आज के पर्यावरण संकट से निपटना चाहिए। इसके लिए, बाधाओं के बिना वैश्विक ज्ञान और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण मंत्री ने टिप्पणी की कि 2018 में, भारत ने ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं’ विषय पर विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी की। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने एकल उपयोग प्लास्टिक को खत्म करने का वैश्विक आह्वान किया। उन्‍होंने कहा कि भारत के इस आह्वान को गति मिली। दुनिया भर में प्‍लास्टिक प्रदूषण पर महत्‍वपूर्ण कार्रवाई की गई जिसकी परिणति ऐतिहासिक प्रस्‍‍ताव लाने और उन्‍हें पारित करने में हुई। हमें विश्वास है कि यह दुनिया भर में ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराएं’ को संस्थागत रूप देगा।

मंत्री ने कहा कि अपनी 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह उपयुक्त है कि यूएनईपी भी कार्यान्वयन के साधनों के प्रश्न पर अधिक ध्यान दे। वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण का प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि इन समझौतों का कार्यान्वयन विकासशील देशों के लिए बोझ मात्र नहीं है बल्कि एक हरित और स्वस्थ ग्रह का मार्ग है।

यादव ने आगे कहा कि स्थायी जीवन शैली हमारे ग्रह के अस्तित्व को रेखांकित करती है। हमारा मानना​है कि संसाधनों का हमारा उपयोग ‘सावधानीपूर्ण और जानबूझकर उपयोग’ पर आधारित होना चाहिए न कि इसका ‘बिना सोचे-समझे और हानिकारक उपयोग’ होना चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री ने ग्लासगो में सीओपी26 में स्पष्ट आह्वान किया- एल.आई.एफ.ई. – पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफस्‍टाइल फॉर एनवायरमेंट)। हम मानते हैं कि यूएनईपी को मानवता और ग्रह की रक्षा के लिए वैश्विक समुदाय में एल.आई.एफ.ई. का संदेश फैलाने के लिए भारत के साथ हाथ मिलाना चाहिए।

पर्यावरण मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत पर्यावरण से संबंधित सम्मेलनों और बहुपक्षीय समझौतों सहित पर्यावरणीय मुद्दों पर यूएनईपी के साथ मजबूत सहयोग की आशा करता है। यूएनईपी को निरंतर विकास पर 2030 एजेंडा के पर्यावरणीय आयामों और अन्य बहुपक्षीय रूप से सहमत वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों को सौंपने के लिए विशेष रूप से परियोजनाओं का एक मजबूत पोर्टफोलियो भी बनाना चाहिए।

अपनी टिप्पणी को समाप्त करते हुए यादव ने कहा कि भारत जो कहता है वह करता है और जैव विविधता तथा जलवायु परिवर्तन पर मजबूती और जिम्मेदारी के साथ बोलता है। उन्‍होंने कहा कि इस अनुभव से भारत भरोसे से और आशापूर्ण दृष्टि से संदेश भेजता है कि मानवता और सभी राष्ट्र एक साथ मिलकर प्रयास कर सकते हैं और इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।