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बजट से हो सकता है बवाल; संसद से सड़क तक विरोध के आसार

बजट सत्र के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। इस बजट को मोदी सरकार के कार्यकाल का सबसे बोल्ड बजट कहा जा रहा है। लेकिन, इस बजट में कई ऐसे फैसले हैं जिसे लेकर आने वाले समय में जबरदस्त विरोध देखने को मल सकता है।

विपक्ष का आरोप है कि सरकार निजीकरण के द्वारा और एसेट मॉनिटाइजेशन के द्वारा पुरखो की मेहनत से कमाई गई सम्पति को बेच रही है।

निजीकरण को लेकर हो सकता है हंगामा

देश में फिलहाल कृषि कानूनों को लेकर जबरदस्त हंगामा चल रहा है। सरकार ने बीमा क्षेत्र में 74 फीसदी के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, एलआईसी के आईपीओ, दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का फैसला करके विपक्ष को हंगामे का जबरदस्त मौका दे दिया है। इन मसलों को लेकर विपक्ष संसद से सड़क तक मोदी सरकार को घेरने का काम कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने बजट के ठीक बाद कॉन्फ्रेंस करके इस बजट की खामियां बताई। कांग्रेसी नेता पी चितम्बरम ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने आर्टिकल में इसकी खामियां गिनाई।

इस तरह तमाम सेक्टर्स में सम्पत्तियों को बेचने या लीज पर देने से कमाई के प्रावधान, एक जनरल इंसोरेंस कंपनी को बेचने, रणनीतिक और गैर रणनीतिक क्षेत्रों में गैर सरकारी विनिवेश ऐसे एलान है जिसपर कंपनियों के कर्मचारी और मजदूर सड़क पर उतर सकते हैं।

हालाँकि, इन सब फैसलों को पारित करने के लिए संसद में सरकार के पास प्रयाप्त संख्याबल मौजूद है, लेकिन, सरकार को बेहतर फ्लोर मैनेजमेंट की आवश्यकता होगी।

विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार ‘क्रोनी कैप्टिलिस्म’ का खुला उदाहरण पेश करके अपने कॉर्पोरेट दोस्तों को फायदा पहुंचा रही है। कृषि कानूनों को लेकर सरकार पहले से ही कॉर्पोरेटों की हिमायती होने के आरोप झेल रही है।

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