निर्यात और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बजट
केंद्रीय बजट 2023-24 में निर्यात को बढ़ावा देने और देश में विनिर्माण के त्वरित विकास में सहायता करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। अप्रत्यक्ष कर का सरलीकरण और युक्तिकरण किया जाना स्पष्ट रूप से निर्यातोन्मुखी है। निर्यात और विनिर्माण क्षेत्र की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
प्रयोगशाला में विकसित हीरे (एलजीडी) पर वाणिज्य विभाग की उन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है, जिनके अंतर्गत आईआईटी मद्रास को 5 वर्ष की अवधि के लिए 242 करोड़ रूपये के अनुसंधान अनुदान को मंजूरी रुपये दी गई हैं। इससे एलजीडी की निर्माण प्रक्रिया के स्वदेशीकरण को सक्षम किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त एलजीडी सीड्स पर शुल्क को 5% से घटाकर शून्य % करने को भी स्वीकार कर लिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रयोगशाला में विकसित हीरे के निर्माताओं की उत्पादन लागत में कमी आएगी और हमारे एलजीडी निर्यात विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेंगे।एलजीडी के लिए अलग एचएस कोड बनाने की वाणिज्य विभाग की अनुशंसा को भी मान लिया गया है। इससे प्रयोगशाला में विकसित हीरों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर नज़र रखी जा सकेगी ।
सोने, चांदी और प्लेटिनम जैसी मूल्यवान धातुओं की वस्तुओं पर सीमा शुल्क 20% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया है, जिससे सोने/चांदी/प्लैटिनम छड़ों पर शुल्क अंतर 10% तक बढ़ गया है । इससे इस क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और इसके परिणामस्वरूप आयात प्रतिस्थापन होगा। कृत्रिम आभूषणों पर सीमा शुल्क 20% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया है। इससे चीन से सस्ता आयात हतोत्साहित होगा और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा ।
मछली खाद्य के आयात शुल्क को 15% से घटाकर 5% करने से देश में झींगा उद्योग अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा और उसके निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। झींगों के उत्पादन की लागत का 40% हिस्सा मछली खाने से बनता है। यह ऐसी छोटी मछलियों पकड़ने की घटनाओं को भी रोकेगा जिनका उपयोग घरेलू उत्पादन में मछली से निर्मित भोजन के लिए किया जाता है और इससे हमारे समुद्री मछली स्टॉक की उपलब्धता में सुधार होगा।
मिश्रित रबर पर आयात शुल्क 10% से बढ़ाकर 25% करने की वाणिज्य विभाग की सिफारिश पर सहमति हो गई है । इससे देश में मिश्रित रबर के आयात में कमी आएगी और देश में उत्पादित प्राकृतिक रबर की मांग और कीमतों में वृद्धि होगी। यह हमारे प्राकृतिक रबर किसानों को समर्थन देने और देश में इसके उत्पादन को और बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
बजट में वित्तीय क्षेत्र को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है। गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक ( जीआईएफटी ) अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी ) में व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ाने के उपायों, वर्तमान वित्तीय क्षेत्र के नियमों की व्यापक समीक्षा और डिजिटल भुगतान के लिए समर्थन लंबे समय अंतराल में भारत की वित्तीय सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देगा।
कम से कम 50 पर्यटन स्थलों का एकीकृत विकास और पर्यटकों के अनुभव को बढ़ाने से संबंधित उपाय भारत में विदेशी पर्यटकों के आगमन को गति प्रदान करेंगे जिससे पर्यटन सेवा निर्यात में वृद्धि होगी ।
भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाते हुए, बजट में सेवाओं के निर्यात के विकास में सहायता करने के लिए घोषित 30 अंतर्राष्ट्रीय कौशल भारत केंद्र भारतीय पेशेवरों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेंगे और विभिन्न प्रकार से सेवा निर्यात के विकास को बढ़ावा देंगे ।
मोबाइल फोन, लिथियम-आधारित बैटरी, टीवी पैनल के लिए ओपन सेल आदि के घटकों पर सीमा शुल्क में कमी वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एकीकृत करने और इन उत्पादों के भारत के निर्यात को बढ़ाने में बहुत आगे तक जाएगी I
इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली बैटरियों के लिए लिथियम-आयन सेल के निर्माण के लिए पूंजीगत वस्तुओं पर सीमा शुल्क में छूट प्रदान की गई है। इससे ऑटोमोबाइल क्षेत्र को अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) को अनुसंधान एवं विकास अनुदान के माध्यम से श्री अन्न (मोटे अनाज) की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने से मोटा अनाज उत्पादन और उसके निर्यात में भारत को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी ।