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केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कृषि उड़ान 2.0 जारी की

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने कृषि उड़ान 2.0 जारी की। कृषि उड़ान 2.0 का उद्देश्य कृषि-उपज और हवाई परिवहन के बेहतर एकीकरण और अनुकूलन के माध्यम से मूल्य प्राप्ति में सुधार लाने और विभिन्न और गतिशील परिस्थितियों में कृषि-मूल्य श्रृंखला में स्थिरता और लचीलापन लाने में योगदान देना है। इस योजना में हवाई परिवहन द्वारा कृषि-उत्पादों के परिवहन को सुविधाजनक बनाने और प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा, “कृषि उड़ान 2.0 नीति निर्माण के प्रति इस सरकार के सहयोगात्मक दृष्टिकोण का एक उदाहरण है। यह योजना कृषि क्षेत्र के लिए विकास के नए रास्ते खोलेगी और कृषि उपज की आपूर्ति श्रृंखला, लॉजिस्टिक और उसके परिवहन में आने वाली बाधाओं को दूर करके किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।”

भारत के आर्थिक रोडमैप यानी कृषि और विमानन में दो महत्वपूर्ण लेकिन विविध क्षेत्रों के बीच सहभागिता को सुगम बनाने के प्रयास के बारे में बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम ए2ए – कृषि से विमानन के मॉडल को अपनाकर अन्नदाता को उच्चतम स्तर पर ले जाना चाहते हैं। तीन प्राथमिक कारणों से दो क्षेत्रों के बीच सहभागिता संभव है, जो इस प्रकार है – भविष्य में विमान के लिए जैव ईंधन का विकासवादी संभावित उपयोग, कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग, और कृषि उड़ान जैसी योजनाओं के माध्यम से कृषि उत्पादों के अधिक एकीकरण और कृषि उत्पादों की मूल्य प्राप्ति।

कृषि उड़ान योजना का उन्नत संस्करण भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की 100 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी ‘आईक्लास’ और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के सहयोग से तैयार किया गया है। यह मुख्य रूप से पूर्वोत्तर, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चयनित हवाई अड्डों पर भारतीय मालवाहक और पी2सी विमानों के लिए लैंडिंग, पार्किंग, टीएनएलसी और आरएनएफसी शुल्क की पूर्ण छूट प्रदान करता है।

कृषि उड़ान 2.0 को देश भर के 53 हवाई अड्डों पर मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों पर केंद्रित किया जाएगा और इससे किसान, मालवाहकों और एयरलाइन कंपनियों को लाभ होने की संभावना है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय पहले छह महीने के लिए प्रायोगिक आधार पर इस योजना को लागू करने की योजना बना रहा है, और फिर अन्य हितधारकों के साथ इसके मूल्यांकन और परामर्श के परिणामों के आधार पर इसमें संशोधन किया जाएगा।