केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने पीएम- एबीएचआईएम, एनएचएम और पंद्रहवे-एफसी स्वास्थ्य अनुदान के तहत अवसंरचनात्मक परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया
“हमें अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास करना होगा ताकि महामारी की स्थिति में उनके लचीलेपन को सुनिश्चित कर देश के सुदूर इलाकों में किफायती स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच प्रदान करने की उनकी क्षमता का उपयोग किया जा सके”। यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) पंद्रहवे वित्त आयोग स्वास्थ्य अनुदान के तहत विभिन्न स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करते हुए, आज गुवाहाटी असम में, आसाम के स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री केशब महंत की उपस्थिति में कही और अमृत काल विमर्श विकसित भारत @2047, विकास संवाद की अध्यक्षता करते हुए अमृत काल में स्वास्थ्य सेवा के रूपांतरण पर मुख्य वक्तव्य दिया। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली, वर्चुअल रुप के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को दोहराते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “एक स्वस्थ समाज ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करता है जो एक समृद्ध देश की नींव रखता है। भारत एक महत्वपूर्ण इकोसिस्टम विकसित करने का प्रयास कर रहा है जो उत्कृष्टता को आत्मसात कर आने वाली किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिए धैर्य के साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली बनाने के लिए अपनी जनशक्ति की क्षमता का उपयोग करता है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के अथक प्रयास से पीएम-एबीएचआईएम, की शुरुआत हुई।
सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. मांडविया ने असम में स्वास्थ्य सेवा विकास पहल की सराहना की और कहा, “हमें अनुसंधान और विकास और हील इन इंडिया, हील बाय इंडिया जैसी पहलों को प्राथमिकता देते हुए मजबूत स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे के समग्र विकास के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को किफायती और सुलभ बनाने की जरूरत है”। तालमेल और एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “हमारे देश में प्रवेश करने वाले किसी भी नए प्रकार या बीमारी की निगरानी के लिए स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के एकीकरण को ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय स्तरों पर मजबूत किया जाना चाहिए।“
डॉ. मांडविया ने असम में की गई पहल की सराहना करते हुए चिकित्सा, दंत चिकित्सा और नर्सिंग कॉलेजों के विकास की सराहना की, उन्होंने कहा, “यह समारोह हमारे स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर सबसे चुनौतिपूर्ण समय में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा की पहुँच हर नागरिक तक सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार के चल रहे प्रयासों में एक मील का पत्थर साबित होगा”
परियोजनाओं की सूची निम्नलिखित है-:
शिलान्यास की गई परियोजनाएं
1. पीएम-एबीएचआईएम के तहत लखीमपुर मेडिकल कॉलेज में 50 बिस्तर वाला क्रिटिकल केयर ब्लॉक
2. पीएम-एबीएचआईएम के तहत बैथालांगसो बीपीएचसी में ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य इकाई
3. पीएम-एबीएचआईएम के तहत हरिनगर बीपीएचसी में ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य इकाई
4. पीएम- एबीएचआईएम के तहत उत्तरी गुवाहाटी पीएचसी में ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य इकाई
5. पीएम-एबीएचआईएम के तहत सफेखाती बीपीएचसी में ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य इकाई
6. पीएम-एबीएचआईएम के तहत सुआकुची बीपीएचसी में ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य इकाई
7. पीएम-एबीएचआईएम के तहत जाखलाबांधा एसडीएचसी में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला
8. XV- वित्त आयोग स्वास्थ्य अनुदान के तहत सासोनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
परियोजनाओं का उद्घाटन:
1. भेटागांव सीएचसी का बिजनी एसडीसीएच में उन्नयन
2. चेंगा, बारपेटा जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और आवासीय क्वार्टर
3. 100 बिस्तरों वाले आरएनबी गोसाईगांव एसडीसीएच का उन्नयन
4. नित्यानंदपुर, हैलाकांडी जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और आवासीय क्वार्टर
5. हलुवाटिंग, शिवसागर जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और आवासीय क्वार्टर
6. नसात्रा, बारपेटा जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और आवासीय क्वार्टर
7. तामुलपुर बीपीएचसी को एसडीसीएच में अपग्रेड करना
8. टिटाबोर एसडीसीएच का सुदृढ़ीकरण
भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की विशिष्टता पर जोर देते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि “भारत के पास स्वास्थ्य क्षेत्र में अपना मॉडल है जो इसकी आवश्यकताओं, शक्तियों और क्षमताओं के अनुरूप है।“ उन्होंने आगे कहा कि अन्य देशों से अलग, भारत में स्वास्थ्य सेवा चार स्तरीय हैं जो जमीनी स्तर से प्राथमिक, माध्यमिक से तृतीयक स्तर तक कार्य करती हैं, जिसमें 1,66,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र जैसे संस्थान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में फैले हुए हैं। वे स्वयं व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के साथ संबंधित स्थानों पर वंचित लोगों को माध्यमिक और तृतीयक स्तर के परामर्श से जोड़ने का काम भी करती हैं जिससे मरीज का समय और धन बचता है और किफायती दरों पर सेवाएं और देखभाल प्रदान की जाती है।
अमृत काल विमर्श विकसित भारत @2047 में अपना मुख्य भाषण देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने युवाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और संकल्प पर प्रकाश डाला और उनसे मौजूदा अनुदान और योजनाओं का लाभ उठाकर एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के संदर्भ में भारत की दृष्टि दुनिया भर के अवसरों तक फैली हुई है, जिसमें देश के दक्ष स्वास्थ्य कर्मचारी आसानी से वैश्विक अवसरों का लाभ उठा सकते हैं, उदाहरण देते हुए उन्होंने असम के मेडिकल कॉलेजों में जापानी भाषा सिखाने का जिक्र किया जिससे भारतीय चिकित्सा कार्यबल को विदेशों में नियुक्ति मिलने में आसानी होगी।
डॉ. मांडविया सत्र के अंत में दर्शकों के साथ एक जीवंत प्रश्नोत्तर सत्र में भी शामिल हुए।
एएस और एमडी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, सुश्री एल.एस. चांगसेन, राज्य के अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, श्री अविनाश जोशी, असम सरकार, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सरकारी अधिकारी, के साथ इस कार्यक्रम में एनएचएम असम की मिशन निदेशक, डॉ एम एस
लक्ष्मी प्रिया, एम्स, आईआईटी गुवाहाटी के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। कई विधान सभा और संसद सदस्यों ने भी वर्चुअल रुप से कार्यक्रम में भाग लिया।