केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021 को स्वीकृति दी
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 30 मार्च को “दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021” को स्वीकृति दे दी है। इससे जुड़ा नीति दस्तावेज स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। कुछ समय से विभिन्न हितधारक दुर्लभ बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए एक समग्र नीति की मांग कर रहे हैं।
दुर्लभ बीमारियों का क्षेत्र काफी जटिल व व्यापक है और दुर्लभ बीमारियों से बचाव, उपचार और प्रबंधन में कई चुनौतियां हैं। विभिन्न कारकों के कारण दुर्लभ बीमारियों का जल्द पता लगाना एक बड़ी चुनौती है, जिसमें प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों, पर्याप्त जांच की कमी औरउपचार सुविधाओं आदि शामिल हैं।
ज्यादातर दुर्लभ बीमारियों केलिए अनुसंधान एवं विकास में मूलभूत चुनौतियां भी हैं, क्योंकि भारतीय संदर्भ में बीमारी से संबंधित विकारों से जुड़ी शारीरिक प्रक्रियाओं और प्राकृतिक इतिहास के बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है। दुर्लभ बीमारियों पर अनुसंधान भी खासा मुश्किल है, क्योंकि मरीजों का समूह छोटा है और इसके चलते अक्सर अपर्याप्त चिकित्सकीय अनुभव मिलते हैं। दुर्लभ बीमारी से जुड़ी बीमारियों और मृत्यु दर में कमी लाने के लिए दवाओं की उपलब्धता और पहुंच भी अहम है। हाल के वर्षों में प्रगति के बावजूद, दुर्लभ बीमारियों के लिए प्रभावी और सुरक्षित उपचार को बढ़ावा देने की जरूरत है। दुर्लभ बीमारियों के उपचार पर आने वाली लागत काफी ज्यादा है। कई उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय ने भी दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति के अभाव को लेकर चिंता जाहिर की है।
इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए, एचएंडएफडब्ल्यू मंत्रालय ने इस क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श के बाद एक बेहद व्यापक दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति, 2021 को अंतिम रूप दिया है। 13 जनवरी, 2020 को दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति को सार्वजनिक कर दिया गया था, जिस पर सभी हितधारकों, आम जनता, संगठन और राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों से टिप्पणियां/ विचार मांगे गए थे। मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति इस पर मिलीं सभी टिप्पणियों का गंभीरता से निरीक्षण किया था।