केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज गुजरात के वड़ोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के 71वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज गुजरात के वड़ोदरा में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के 71वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि ये महाराजा सयाजीराव की भूमि है और इसे संस्कार नगरी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि जिस समय पूरा देश गुलामी का अनुभव कर रहा था, उस वक्त भी महाराजा सयाजीराव ने पूरे बरोडा स्टेट को गुलामी का अनुभव नहीं करने दिया। उन्होंने कहा कि इसी भूमि पर महाराजा ने अरबिन्दो को आश्रय दिया, यहीं पर बाबा साहब अंबेडकर को आगे पढ़ाई करने का मौका मिला, यहीं से विनोबा भावे, के एम मुंशी, हंसा मेहता और दादा साहेब फाल्के ने शिक्षा लेकर भारत को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अपने बाद भी वही लोग याद किए जाते हैं जो लोग समाज, देश और दुनिया के लिए काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने बर्मा में प्रवेश किया था और कहा था कि मैं आजाद हिंदुस्तान में कदम रख रहा हूं। शाह ने कहा कि नेताजी जैसे व्यक्ति ने अपने जीवन में अपार कष्ट सहते हुए बहुत प्रयास किए थे। उन्होंने कहा कि आज भी दुनिया नेताजी का सम्मान करती है और याद करती है क्योंकि उन्होंने हमेशा दूसरों के लिए काम किया।
अमित शाह ने कहा कि आज 6713 छात्र और 8048 छात्राएं अपना छात्र जीवन समाप्त करके आगे की यात्रा पर निकल रहे हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि यहां से प्राप्त की गई शिक्षा के आधार पर समाज को संवारने और आगे ले जाने का प्रयास आपको करना है। उन्होंने कहा कि आज यहां महाराजा रंजीत सिंह गायकवाड़ इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन का भी ई-लोकार्पण हुआ है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि महाराजा सयाजीराव ने अपने पूरे कालखंड में इस प्रकार की शासन व्यवस्था को प्रस्थापित करने का प्रयास किया जो आज भी जानी जाती है। उन्होंने कहा कि महाराजा सयाजीराव के शासन में कोई गांव ऐसा नहीं था जहां पुस्तकालय नहीं था, कोई बालिका ऐसी नहीं थी जो पढ़ी ना हो। शाह ने कहा कि महाराजा ने अपने शासन में शिक्षा का प्रसार, न्याय की स्थापना, वंचितों का उत्थान, सिंचाई, कृषि और सामाजिक सुधार जैसे कई विषयों पर बहुत काम किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित किया, पर्दा प्रथा को उस समय समाप्त किया, बाल विवाह पर रोक लगाई, तलाक के लिए स्वतंत्र कानून बनाया, और रोजगार सृजन के लिए शिक्षा के आयामों को बदलने का काम भी किया।
अमित शाह ने डिग्री लेकर जा रहे छात्र-छात्राओं से कहा कि अगर आप नई शिक्षा नीति को समझने का प्रयास करेंगे तो शिक्षा के उपयोग के बारे में आपके कॉंसेप्ट क्लीयर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति में सयाजीराव का एक्सेसीबल शिक्षा का विचार शामिल है, सरदार पटेल का एम्पावरमेंट का विचार भी शामिल है, अंबेडकर जी का ज्ञान की शिक्षा का विचार भी शामिल है, अरबिन्दो का सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी शिक्षा का विचार भी शामिल है और गांधी जी का मातृभाषा पर आग्रह का विचार भी इसमें शामिल है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि जीवन में कभी अपनी मातृभाषा को नहीं छोड़ना चाहिए और इस लघुता ग्रंथि से बाहर निकलना चाहिए कि भाषा से स्वीकृति मिलती है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी भाषा में अच्छा सोच सकता है, बेहतर क्षमता के साथ रिसर्च कर सकता है और उसकी एनालिसिस और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व निर्माण का स्वभाषा से बड़ा कोई माध्यम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी भाषाएं हमारे देश की हैं, सबसे अच्छा व्याकरण, साहित्य, कविताएं और इतिहास हमारी ही भाषाओं में है। शाह ने कहा कि जब तक हम अपनी भाषाओं को संवर्धित नहीं करेंगे तब तक हम देश का भविष्य नहीं सुधार सकते। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नई शिक्षा नीति में भाषा के महत्व को बरकरार रखने के लिए प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में अनिवार्य करने का प्रावधान रखा है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने नई शिक्षा नीति में शिक्षा को स्ट्रीमलैस और क्लासलैस बनाने का काम किया है और ऐसा होने पर आप ज्ञान की दुनिया में मुक्त चिंतन और विहार कर सकते हैं। शाह ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य डिग्री, अच्छी नौकरी या व्यक्तिगत जीवन में सुख-सुविधाएं प्राप्त करना नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानव बनना है और ये स्ट्रीमलैस और क्लासलैस शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश की आज़ादी के 75 वर्षों की ये यात्रा उज्ज्वल प्राप्तियों की यात्रा है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव को मनाने के 3 उद्देश्य हमारे सामने रखे थे। पहला, देश के युवाओं को आज़ादी के संघर्ष और आज़ादी से पहले के इतिहास से अवगत कराया जाए। दूसरा, 75 वर्षों की उपलब्धियों के बारे में गौरवान्वित महसूस करना। तीसरा, 75 से 100 साल की यात्रा को संकल्प की यात्रा बनाकर भारत को दुनिया में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम बनाने का संकल्प लेना। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने 75 से 100 साल के कालखंड को अमृत काल कहा है और इसे संकल्प से सिद्धि का कालखंड भी कहा है। उन्होंने कहा कि जब 130 करोड़ लोग एक कदम आगे बढ़ते हैं तो देश 130 करोड़ कदम आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर क्षेत्र में महान और सर्वप्रथम भारत की रचना की ज़िम्मेदारी देश के युवाओं की है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के युवाओं के लिए अपार अवसर उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा कि 2016 में देश में 724 स्टार्ट-अप थे, जो 2022 में बढ़कर 70 हज़ार से अधिक स्टार्ट-अप भारत में हैं। इसके साथ-साथ 107 स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न क्लब में हैं, जबकि 2016 में सिर्फ 4 थे। उन्होंने कहा कि देश में कुल स्टार्ट-अप में से 45 प्रतिशत महिलाएं और बालिकाएं चला रही हैं और 45 प्रतिशत स्टार्ट-अप टियर-2 और टियर-3 शहरों में हैं। शाह ने कहा कि मोदी जी ने 25 क्षेत्रों की पहचान करके मेक इन इंडिया योजना की शुरूआत की और इसमें कई नए क्षेत्र खोले गए और इसके परिणामस्वरूप भारत का व्यापारिक निर्यात 400 अरब डॉलर को पार कर चुका है और पीएलआई योजना से 4 लाख करोड़ रूपए का निवेश आ चुका है। शाह ने कहा कि कौशल विकास के माध्यम से स्किलिंग, अपस्किलिंग और रिस्किलिंग की तीनों योजनाओं से बच्चों में छिपी प्रतिभा को बाहर लाने और निखारने का काम मोदी सरकार ने किया है। मोदी जी ने युवाओं की क्षमतावर्धन के लिए कई क्षेत्र खोले हैं। शाह ने कहा कि देश की आज़ादी की शताब्दी के समय भारत निश्चित रूप से हर क्षेत्र में दुनिया में सर्वप्रथम होगा।