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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अंडमान निकोबार द्वीप समूह में गृह मंत्रालय द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे Iconic Events Week के समापन समारोह को संबोधित किया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अंडमान निकोबार द्वीप समूह में गृह मंत्रालय द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे Iconic Events Week के समापन समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल डी के जोशी और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत इस वर्ष में देश में अनेक जाने-अनजाने स्वतंत्रतासेनानियों के जीवन को भारत की नई पीढ़ी के सामने रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने हर मंत्रालय को ज़िम्मेदारी दी है। उन्होंने कहा कि ये गृह मंत्रालय का सौभाग्य है कि आज़ादी के आंदोलन के ध्रुव तारे जैसे, सबके प्रिय नेताजी के जन्म से लेकर आज तक की सारी यादों को संजोने का काम गृह मंत्रालय को दिया गया है।उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ आज का दिन और महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि आज के दिन ही अंडमान निकोबार द्वीप समूहों के नाम में एक और यश कलगी को जोड़ने का काम भारत के प्रधानमंत्री जी ने किया है। शाह ने कहा कि सुभाष द्वीप को सुभाष बाबू मेमोरियल के रूप में बदलकर बहुत बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने की है।इसके साथ-साथ जिन्होंने देश की आजादी की सुरक्षा के लिए 1947 से लेकर आज तक अपनी जान न्योछावर की, अपने शरीर के खून का कतरा कतरा मातृभूमि के लिए बहाकर उसकी रक्षा करने का काम किया, कुछ जीवित रहे और कुछ शहीद हुए, ऐसे 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान निकोबार द्वीप समूहों के 21 बड़े द्वीपों का नामकरण हुआ है।

अमित शाह ने कहा कि दुनिया के किसी देश ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए किसी द्वीप या भूमि को शहीदों के नाम पर नहीं रखा है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने अंडमान निकोबार के 21 बड़े द्वीपों को हमारे वीरों के साथ जोड़कर न केवल सेना का मनोबल बढ़ाया है और तीनों सेनाओं को सम्मानित किया है, बल्कि इसके साथ साथ भारत की युवा पीढ़ी को हमेशा के लिए उत्साह, प्रेरणा और देशभक्ति के संस्कार से सिंचित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि भारत की तीनों सेनाओं के जवानों को भी बहुत-बहुत साधुवाद और अभिनंदन करना चाहता हूं क्योंकि इनके पराक्रम को आज बहुत अच्छे तरीके से देश के इतिहास के साथ संजोने का काम हुआ है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब भी नेताजी का नाम सुनते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इतना साहस, पराक्रम, देशभक्ति और देशभक्ति के कार्य करना, यह चारों चीजें शायद ही किसी बिरले के अंदर होती है। उन्होंने कहा कि नेताजी हमारी आजादी के आंदोलन के वीर पुरुष थे जिनके अंदर यह चारों चीज थी। उन्होंने कहा कि नेताजी के व्यक्तित्व में वसंत ऋतु के सूर्य जैसा आकर्षण था। आजादी के आंदोलन में वह कांग्रेस के अध्यक्ष रहकर 2 साल तक कांग्रेस के आंदोलन का नेतृत्व करते रहे, फॉरवर्ड ब्लॉक भी बनाया, आर्थिक चिंतन भी किया, लेकिन जब कलकत्ता के मेयर बने तो उन्होंने अच्छी प्रशासनिक क्षमता का भी परिचय कराया। जब नेताजी को लगा कि द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत को आजाद कराने का मौका है तो अंग्रेजों की आंखों में धूल झोंक कर बर्लिन तक की यात्रा की। शाह ने कहा कि देशभर के युवाओं को अगर नेताजी को जानना है तो नेताजी की दोनों यात्राओं को ध्यान से पढ़ना चाहिए कि देश के लिए कोई एक व्यक्ति अल्पायु में क्या कर सकता है, उसका यह उत्कृष्ट उदाहरण था, जो नेता जी ने पूरे विश्व के सामने रखा है।

अमित शाह ने कहा कि नेताजी के लिए देश का सम्मान, देश की जनता के प्रति ईमान और खुद के स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में आज जो दो चीजें की है, वह दोनों कार्यों ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह को भारत की आजादी के और आजादी के बाद भारत की सुरक्षा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिख दिया है। उन्होंने कहा कि अंडमान निकोबार के इतिहास को कौन नहीं जानता है। यहीं पर आजादी की तीर्थस्थली जैसी सेल्युलर जेल है जहां वीर सावरकर ने अपार यातनाओं को सहते हुए कभी न झुकने वाला जज्बा दिखाया था, जहां सन् 1857 से लेकर 1947 तक अनेक कैदियों ने यहां रहकर आजादी के आंदोलन की तपस्या की थी। उन्होंने कहा कि पूरे देश के युवाओं के लिए यह सेल्यूलर जेल स्मारक नहीं बल्कि, आजादी के आंदोलन का एक तीर्थ स्थान है। इसके साथ-साथ अंडमान निकोबार का यह द्वीप समूह वह सौभाग्यशाली भूमि है जिसे पूरे भारत में सबसे पहले आजाद होने का गौरव मिला, 30 दिसंबर 1945 को हमारा अंडमान आजाद हो गया था। उन्होंने कहा कि इस भूमि पर नेताजी ने ध्वज फहरा कर अंडमान को स्वतंत्र करने का काम किया था और आज वही पर नेताजी की स्मृति में एक द्वीप पर स्मारक बन रहा है। शाह ने कहा कि देश नेताजी के उपकारों को कभी चुका नहीं सकता मगर हम एक छोटा सा प्रयास तो जरूर कर सकते हैं। उनके जीवन, वीरता, देशभक्ति के गुण से नई पीढ़ी सीखे, ऐसे स्मारक बना सकते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस सप्ताह में मणिपुर में मोइरांग, नागालैंड में कोहिमा, चेसेजु और रूझाजो, गुजरात में हरिपुरा, बारडोली और सूरत, कोलकाता और कटक में गृह मंत्रालय ने अलग अलग कार्यक्रम करके नेताजी की याद को संजोने का काम किया है। उन्होंने कहा कि नेताजी ने अग्रेज़ों की नौकरी करना पसंद नहीं किया, इस्तीफा देकर उन्होंने देश को आज़ाद कराने की मुहिम में जुड़ना पसंद किया। वे सबसे कम आयु वाले कोलकाता के मेयर बने, गांधी जी के साथ कार्यपद्धति के मतभेद के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और अपना अलग रास्ता अख्तियार किया। जब उन्हें लगा कि अब देश को आज़ाद किया जा सकता है, तब उन्होंने आज़ाद हिंद फौज का गठन किया।नेताजी एक बहुआयामी व्यक्तित्व, ब्रिलियंट विद्यार्थी, उत्तम प्रशासक, स्को राजनीतिज्ञ और सेनानी रहे। कोलकाता से पेशावर, वहां से मॉस्को और मॉस्को से बर्लिन पहुंचे, 7275 किलोमीटर की यातनाओं से भरी यात्रा की। जर्मनी से इंडोनेशिया और वहां से जापान, 27 हज़ार किलोमीटर की पनडुब्बी से यात्रा नेताजी के साहस को बताती है। उन्होंने कहा कि पूरा देश आज नेताजी को अपना अभिमान मानता है उनके साहस को सलाम करता है और हमें नेताजी पर अभिमान है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने नेताजी के इतिहास को सम्मान देने के लिएकर्तव्य पथ पर नेताजी का एक भव्य स्टेचू स्थापित करने का काम किया है। शाह ने कहा कि आजादी के बाद नेता जी को भुलाने, उनकी भूमिका को छोटा करके नया इतिहास लिखने का बहुत प्रयास हुआ, मगर जो वीर होते हैं वह इतिहास में स्थान प्राप्त करने के लिए किसी के मोहताज नहीं होते, बल्कि इतिहास ही अपनी गोद में बैठा कर अपने बच्चे को बड़ा करता है और उसी तरह आज नेताजी कोटि-कोटि सूर्य की भांति चमक कर आजादी के आंदोलन के ध्रुव तारे बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि ये हम सबका दायित्व है कि आजादी के आंदोलन में नेताजी की जो भूमिका थी, आजाद हिंद फौज बनाने से पहले और आजाद हिंद फौज की पूरी लड़ाई की,इन दोनों भूमिकाओं को उजागर करने और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने का।

अमित शाह ने कहा कि आज नेताजी का 126 वां जन्मदिन है और प्रधानमंत्री मोदी जी ने नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस का नाम दिया है। और अब सालों सालों तक 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनता रहेगा, जब तक पराक्रम दिन मनेगा यह नेताजी की ग्रेट एस्केप वाली यात्रा पूरी दुनिया के जेहन में आएगी। शाह ने कहा कि इस आंदोलन के बहुत महत्वपूर्ण हिस्से रहे अंडमान निकोबार द्वीप में आज सुभाष द्वीप पर उनका स्मारक बनेगा।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि द्वीपसमूह के विकास के लिए मोदी सरकार बहुत सारी योजनाएं लाई है। पीने का पानी 266 गांव में शत-प्रतिशत पहुंचाने का काम हो गया है, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से कनेक्टिविटी लाकर मोदी जी ने द्वीप समूह की विकास की संभावनाओं को खोलने का काम किया है। चेन्नई अंडमान एंड निकोबार परियोजना के तीन खंड सक्रिय हो गए हैं और बाकी के 5 खंड भी सक्रिय होने की शुरुआत हुई है। परफॉर्मेंस में ग्रेडिंग सूचकांक के लिए पहल पोर्टल भी यहां निर्मित किया गया है और आयुष्मान भारत योजना के तहत हर अंडमान निकोबारवासी को पाच लाख रूपए तक का पूरा हेल्थ कवरेज यहां मिल रहा है, विद्युत क्षेत्र में 20 मेगावाट के सोलर प्लांट को चालू कर दिया गया है जो आने वाले दिनों में हमारे द्वीप समूहों के लिए ऊर्जा और विकास का मूल कारण बनने वाला है। लगभग 203 करोड़ की लागत से सड़क और पुल भी बनाए है और वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नया टर्मिनल भी निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि द्वीप आत्मनिर्भर बने, इस प्रकार से द्वीपों का विकास करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार कटिबद्ध है।उन्होंने कहा कि आज मोदी जी ने जो दो काम किए हैं – परमवीर चक्र को प्राप्त करने वाले हमारे 21 पराक्रमी योद्धाओं कोअनाम द्वीपों के साथ जोड़ने और नेता जी की स्मृति में सुभाष ब्रिज को स्मारक बनाने का काम – अंडमान निकोबार द्वीप समूह का नाम अनेक सदियों तक देश के इतिहास के साथ स्वर्णमयी अक्षरों से जुड़ जाएगा।