केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
अपने संबोधन में अमित शाह ने कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों से कहा उन्हें अपने अंदर के छात्र को कभी भी मरने नहीं देना है और ये सुनिश्चित करना है कि विद्यार्थी जीवन के आधार पर स्वयं के विकास के माध्यम से देश के विकास में बड़ा योगदानदें। उन्होंने कहा कि गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने काफी कम समय में बहुत ऊंचे मानांक सिद्ध किए हैं और एक बहुत अच्छा पुस्तकालय स्थापित करके छात्रों के लिए पढ़ाई को सुगम बनाने के प्रयास किए हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज उपाधि लेकर जा रहा ये बैच अमृत महोत्सव बैच के रूप में जाना जाएगा क्योंकि ये वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है और सभी छात्र-छात्राओं के लिए ये गर्व का पल है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव को मनाने के तीन उद्देश्य जनता के सामने रखे हैं। पहला, देश के युवाओं को आज़ादी के संघर्ष और आज़ादी से पहले के इतिहास से अवगत कराना। दूसरा, 75 वर्षों की उपलब्धियों के बारे में गौरवान्वित महसूस करना और तीसरा, 75 से 100 साल की यात्रा को संकल्प यात्रा बनाकर भारत को दुनिया में हर क्षेत्र में सर्वप्रथम बनाने का संकल्प लेना। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने 75 से 100 साल के कालखंड को अमृत काल और इसे संकल्प से सिद्धि का कालखंड कहा है। उन्होंने कहा कि जब 130 करोड़ लोग एक कदम आगे बढ़ते हैं तो देश 130 करोड़ कदम आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में हर क्षेत्र में महान और सर्वप्रथम भारत की रचना की ज़िम्मेदारी देश के युवाओं की है। उन्होंने कहा कि एक महान भारत की रचना के सुफल प्राप्त करने और उसे बनाने की ज़िम्मेदारी छात्रों की है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति-2020 एकमात्र ऐसी शिक्षा नीति है जिस पर किसी तरह का कोई विवाद या इसका विरोध नहीं हुआ और सबने इसे स्वीकारा है। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में भारत के युवाओं को विश्व के युवाओं के सामने मंच पर खड़ा करने की ताकत है क्योंकि इसे व्यापक विचार विमर्श के बाद बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति ने संकुचित सोच के दायरे से हमारी शिक्षा को बाहर लाने का काम किया है। शाह ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य डिग्री, अच्छी नौकरी या व्यक्तिगत जीवन में सुख-सुविधाएं प्राप्त करना नहीं,बल्कि संपूर्ण मानव बनना है। इस दिशा में हमेशा पुरूषार्थ करना चाहिए और ये शिक्षा नीति आपको इसकापूरा मौका देती है। उन्होंने कहा कि यह नीति भारतीय मूल्यों पर आधारित लेकिन इसमें अत्याधुनिक शिक्षा के सभी तत्व समाहित हैं। शाह ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना है जो राष्ट्र गौरव के साथ-साथ विश्व कल्याण की भावना से भी ओत-प्रोत हों,साथ ही इस नीति में ग्लोबल सिटीज़न बनाने की सारी क्षमताएंभी मौजूद हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष बल दिया गया है क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपनी भाषा में ही अच्छा सोच सकता है, बेहतर क्षमता के साथ रिसर्च कर सकता है और उसकी विश्लेषण करने और निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नई शिक्षा नीति में भाषा के महत्व को बरकरार रखने के लिए प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में अनिवार्य करने का प्रावधान किया है। शाह ने कहा कि हमारी सभी भाषाएं लचीली हैं इसीलिए हमें अपने शब्दकोष को बढ़ा कर इसे विस्तृतकरना चाहिए। उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति मेंउच्च शिक्षा में लचीलापन लाने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं साथ साथ ई-लर्निंग पर भी ज़ोर दिया गया है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदीजी ने देश के युवाओं के लिए अपार अवसर उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा कि 2016 में देश में 724 स्टार्ट-अप थे, जो 2022 में बढ़कर 70 हज़ार से अधिक हो गए हैं। इसके साथ-साथ 107 स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न क्लब में हैं, जबकि 2016 में सिर्फ 4 थे। उन्होंने कहा कि देश में कुल स्टार्ट-अप में से 45 प्रतिशत महिलाएं और बालिकाएं चला रही हैं और 45 प्रतिशत स्टार्ट-अप टियर-2 और टियर-3 शहरों में हैं। शाह ने कहा कि मोदी जी ने कई क्षेत्रों की पहचान कर मेक इन इंडिया योजना की शुरूआत की और इसमें कई नए क्षेत्र खोले गए। इसके परिणामस्वरूप भारत का व्यापारिक निर्यात 400 अरब डॉलर को पार कर चुका है और पीएलआई योजना से 4 लाख करोड़ रूपए का निवेश आ चुका है। शाह ने कहा कि मोदी जी ने युवाओं की क्षमता बढ़ाने के लिए कई क्षेत्र खोले हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि देश की आज़ादी की शताब्दी के समय भारत निश्चित रूप से हर क्षेत्र में दुनिया में सर्वप्रथम होगा।