केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग 2 अरब लोगों की आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करता है
केन्द्रीय मंत्री, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच सहयोग 2 अरब लोगों की आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करता है।
राजदूत उगो एस्टुटो के नेतृत्व में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत-यूरोपीय संघ विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते को हाल ही में पांच वर्षों की अवधि के लिए नवीनीकृत किया गया है।
डॉ. सिंह ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए यूरोपीय संघ-भारत रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और बहुपक्षीय स्तर पर एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने का भी आह्वान किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के बारे में कि सभी वैज्ञानिक प्रयासों का अंतिम उद्देश्य आम आदमी के लिए ‘‘जीवन की सुगमता’’ लाना है, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, भारत-यूरोपीय संघ को स्वास्थ्य, कृषि, जल, अक्षय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, विद्युत गतिशीलता, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), कृत्रिम मेधाविता (एआई), रोबोटिक्स और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि अब तक हासिल की गई अच्छी प्रगति के आधार पर, अनुसंधान और नवाचार पर बढ़ते प्रयासों के माध्यम से समग्र भारत और यूरोपीय संघ के बीच सामरिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने अर्थव्यवस्था के वैश्विक परिदृश्य को बदल दिया है और वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को एक साथ लाकर इस महामारी से निपटने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को एक बड़ी भूमिका निभानी होगी।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने कोविड से लड़ने में आगे बढ़कर नेतृत्व किया और आज हम कर्तव्य की वैश्विक पुकार के उत्तर में स्वदेशी रूप से विकसित टीकों का निर्यात कर रहे हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यूरोपीय संघ ने हाल ही में ‘‘होराइजन यूरोप (2021-2027)’’ लॉन्च किया है, जो एक नियोजित 7-वर्षीय यूरोपीय संघ वैज्ञानिक अनुसंधान पहल है तथा यूरोपीय संघ होराइजन यूरोप में भारतीय वैज्ञानिक एजेंसियों की भागीदारी के लिए इससे संपर्क कर रहा है।
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत इस कार्यक्रम में भाग लेने के प्रति इच्छुक है, बशर्ते आईपीआर साझा करने, संयुक्त कॉल के दायरे, मॉडल अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर और संयुक्त मूल्यांकन से संबंधित मुद्दों पर कुछ चिंताओं को दोनों पक्षों की संतुष्टि के लिए हल किया जाए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मिशन नवाचार कार्यक्रम में भारत यूरोपीय संघ के साथ निकट सहयोग कर रहा है, जिसका नेतृत्व वर्तमान में यूरोपीय संघ कर रहा है।
उन्होंने कहा, भारत मिशन इनोवेशन 2.0 की रूपरेखा तैयार करने में निकटता से शामिल है, जहां स्पष्ट परिणामों और संसाधन प्रतिबद्धता के साथ समयबद्ध मिशनों के विकास पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही भारत विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनजर, स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता के लिए देशों के उच्चस्तरीय संबंध के लिए प्लेटफार्मों के विकास में लगा हुआ है।
अपनी टिप्पणी में, यूरोपीय संघ के राजदूत उगो एस्टुटो ने स्वच्छ ऊर्जा, जीनोम अनुक्रमण, अंटार्कटिका में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग का उपयोग करके अनुसंधान पर सहयोग जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने के अलावा, जन-जन के बीच संपर्क को मजबूत करने का आह्वान किया।
राजदूत ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच अधिक से अधिक छात्र विनिमय कार्यक्रम का भी आह्वान किया और बताया कि भारत के 200 पीएचडी और 80 उच्चतर स्कॉलर यूरोपीय संघ में वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं।
एस्टुटो ने बताया कि नवाचार के क्षेत्र में, भारतीय और यूरोपीय संघ के स्टार्ट-अप के बीच तालमेल पर एक पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। उन्होंने नीली अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने के भारतीय मंत्री के विचार का भी समर्थन किया, क्योंकि गहरे समुद्र में खनन के वैश्विक प्रभाव हैं। भारत और यूरोपीय संघ निकट भविष्य में विषय विशिष्ट मुद्दों पर अधिक संरचित बैठकों के लिए सहमत हुए।
यूरोपीय संघ के राजदूत ने हाल ही में पूर्वी अंटार्कटिका और वेडेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (एमपीए) के रूप में नामित करने के लिए यूरोपीय संघ के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करके अंटार्कटिक पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत के समर्थन को लेकर डॉ. जितेन्द्र सिंह को धन्यवाद दिया।
दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि भारत-यूरोपीय संघ के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समझौते और आईपीआर के सिद्धांतों तथा नीतियों में शामिल प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार आईपीआर, डेटा साझाकरण और सामग्री/उपकरण हस्तांतरण किया जाएगा। आईपीआर और डेटा साझाकरण तंत्र का मसौदा तैयार करने के लिए एक संयुक्त पैनल बनाया जाएगा।