केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में ‘2023 साइंस विजन’ के बारे में मीडिया को जानकारी दी
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नए साल के पहले दिन मीडिया से बातचीत में कहा कि 2023 साइंस विजन 2047 में भारत को परिभाषित करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2047 में स्वतंत्र भारत के 100 वर्ष पूरे होंगे और शताब्दी के सपने साकार होंगे। इस लिहाज से देश की आजादी की 100 वर्ष की यात्रा में 2023 अंतिम 25 वर्ष अथवा 100 वर्ष के कैलेंडर का अंतिम एक-चौथाई का प्रतीक है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, यह वह वर्ष भी है, जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जी20 की मेजबानी के साथ-साथ राष्ट्र के रूप में अपना दर्जा बढ़ा रहा है और इसके प्रस्ताव पर दुनिया अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मना रही है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “भविष्य उनका है जिनके पास नवीन विचार और लीक से हटकर लक्ष्य हैं तथा उन्हें हासिल करने का दृढ़ विश्वास और साहस है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि आज हमारे पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है, जो न केवल लीक से हटकर सोचता है, बल्कि 130 करोड़ भारतीयों को दृढ़ विश्वास के साथ निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “नवाचार” के प्रति झुकाव के बारे में बताते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वतंत्रता दिवस पर उनके संबोधन की ओर इशारा किया, जहां उन्होंने कहा था, “आज तक हम अपने श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी को जय जवान जय किसान के प्रेरणादायक उद्घोष के लिए हमेशा याद करते हैं, जिसका अर्थ है ‘जवान की जय हो, किसान की जय हो’। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जय विज्ञान की एक नई कड़ी जोड़ी जिसका अर्थ था ‘जय विज्ञान’ और हमने इसे अत्यधिक महत्व दिया। लेकिन इस नए चरण अमृत काल में अब जय अनुसंधान यानी “जय नवाचार” जोड़ कर ‘जय जवान जय किसान जय विज्ञान जय अनुसंधान’ का उद्घोष करना अनिवार्य है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सितंबर, 2022 में आयोजित केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन में भी मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि इस अमृत काल में भारत को अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए हमें एक साथ कई मोर्चों पर काम करना होगा और विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित अनुसंधान को स्थानीय स्तर पर ले जाने की आवश्यकता पर जोर देना होगा।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित विभागों ने वर्ष 2023 के लिए पहले ही अपने फोकस क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार कर ली है।
प्रधानमंत्री श्री मोदी के आह्वान पर निजी भागीदारों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के बाद इसरो के पास आज बहुत कम समय में 100 से अधिक स्टार्टअप हैं। वहीं, इसका फोकस 2024 में वैज्ञानिक अन्वेषण मिशन, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन और मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ पर है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) मौजूदा और उभरती बीमारियों के लिए टीकों के सुधार में निवेश करके कोविड-19 वैक्सीन मिशन की सफलताओं को आगे बढ़ाएगा। गौरतलब है कि बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष में बाजरा और पादप विषाणुओं के पैथो-जीनोमिक्स पर भी प्रमुख मिशन शुरू किए जाएंगे।
2023 में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ग्रीन हाइड्रोजन पर भी ध्यान केंद्रित करेगा, क्योंकि यह स्वच्छ ऊर्जा मिशन के हिस्से के रूप में स्वदेशी ग्रीन हाइड्रोजन में पहले ही प्रगति कर चुका है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय गहरे समुद्र मिशन और प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। वर्ष 2023 के दौरान भी ब्लू इकोनॉमी को आगे बढ़ाया जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में दो बार – पहले 2021 में और फिर 2022 में डीप ओशन मिशन का जिक्र किया।
परमाणु ऊर्जा विभाग भारत के चुनावी प्रबंधन में अपने योगदान के लिए भारत के चुनाव आयोग के लिए लगभग 21.00 लाख उपकरण वितरित करेगा, जिसमें बैलेट यूनिट (बीयू), कंट्रोल यूनिट (सीयू) और वोटर वेरीफाईएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) शामिल हैं, जिन्हें ईसीआईएल द्वारा सितंबर/अक्टूबर 2023 तक पूरा किया जाना है।