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केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मौसम भवन का दौरा किया, आईएमडी मुख्यालय पर मॉनसून के रुझान की समीक्षा की

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मौसम भवन का दौरा किया और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुख्यालय में मॉनसून के रुझान की समीक्षा की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मौसम भवन पर लगभग 1 घंटे का समय व्यतीत किया और मॉनसून के वर्तमान रुझान के बारे में व्यक्तिगत तौर पर जारी ली। वह विशिष्ट उपग्रह एवं रडार अनुभागों में भी गए और वास्तविक समय में आंकड़ों की प्रक्रिया के बारे में चर्चा की।

विभाग के अधिकारियों ने डॉ. जितेंद्र सिंह को बताया कि वर्तमान समय में विभिन्न विश्व स्तरीय उपकरणों के उपयोग के अलावा आईएमडी के पास देशभर में 27 रडार उपलब्ध हैं। उन्हें बताया गया कि आगामी वर्षों में रडार की संख्या देश में बढ़ाकर 50 तक किए जाने की योजना है।

विभिन्न उपकरणों का अवलोकन करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने यह भी जानना चाहा कि इसरो के उपग्रहों से प्राप्त होने वाले उपग्रह चित्रों का विश्लेषण किस प्रकार से किया जाता है। उन्हें दिल्ली में वायु गुणवत्ता में आने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में भी जानकारी दी गई।

मौसम पूर्वानुमान की प्रक्रिया को एक जटिल प्रक्रिया बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएमडी के वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि और सटीक मौसम पूर्वानुमान देने के लिए प्रयास करें। उन्होंने अधिकारियों से जनोन्मुखी होने के प्रयास करने को कहा, विशेषरूप से कृषि और अचानक आने वाली बाढ़, चक्रवाती तूफान, मूसलाधार बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में मोबाइल एप्लिकेशन और इस तरह के अन्य हाई-टेक विकल्पों का उपयोग कर सूचनाओं का प्रसार बढ़ाने को कहा।

एक संक्षिप्त प्रस्तुति में आईएमडी के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय मोहापात्रा ने डॉ सिंह को बताया कि इस वर्ष मॉनसून की बारिश जून में सामान्य से 10% अधिक हुई जबकि जुलाई में अब तक सामान्य से 26 प्रतिशत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है।

केंद्रीय मंत्री को बताया गया कि आईएमडी द्वारा कृषि मंत्रालय के एम-किसान पोर्टल का उपयोग करते हुए देश भर में 4 करोड़ 20 लाख से अधिक किसानों को उनके लाभ के लिए सप्ताह में दो बार एसएमएस भेजा जाता है। डॉ मोहापात्रा ने बताया कि भारत दुनिया के उन 5 देशों में एक है जिनके पास बिजली गिरने की चेतावनी जारी करने के लिए आधुनिकतम लाइटनिंग प्रणाली है।

आईएमडी की हाइड्रोमेट सेवा रडार प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से नदियों के आसपास वाले क्षेत्रों में बाढ़ संबंधी पूर्वानुमान करने में सक्षम है। इस सेवा के माध्यम से शहर आधारित पूर्वानुमान के साथ-साथ दक्षिण एशिया के अन्य भागों में भी अचानक बाढ़ की सूचनाएं प्रसारित की जाती हैं।