केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह का स्वरूप बदलने के लिये 800 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना को मंजूरी दी
केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना, केडीएस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह, कोलकाता के नेताजी सुभाष डॉक पर बर्थ नंबर आठ का पुनर्निर्माण और बर्थ नंबर सात और आठ में मशीने लगाने को मंजूरी दे दी है। यह महत्वपूर्ण निर्णय केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा लिया गया, जो बंदरगाह की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण कार्य है।
स्वीकृत परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के माध्यम से डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर क्रियान्वित किया जायेगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत 809.18 करोड़ रुपये है, जो इस प्रयास की महत्ता को रेखांकित करता है।
यह परियोजना श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह के परिचालन परिदृश्य में एक आदर्श बदलाव लाने के लिये तैयार है। इसके मुख्य लाभों में एक प्रभावी, कुशल और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ एकीकृत कार्गो हैंडलिंग प्रणाली की स्थापना शामिल है। यह बंदरगाह की परिचालन दक्षता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ायेगी। इसके अतिरिक्त, अतिरिक्त बर्थिंग और कार्गो हैंडलिंग सुविधाओं का निर्माण आयात और निर्यात दोनों गतिविधियों की जरूरतों को पूरा करेगा। इससे बंदरगाह की क्षमता और बढ़ेगी। इसके परिणामस्वरूप बंदरगाह का समग्र प्रदर्शन बेहतर होगा और यह अधिक प्रतिस्पर्धात्मक होगा।
सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बंदरगाहों पर कई पहल करके, पिछले 10 वर्षों में बंदरगाहों की कार्गो हैंडलिंग क्षमता दोगुनी हो गयी है। बंदरगाहों पर मशीनीकरण केवल बुनियादी संरचना के उन्नयन के बारे में नहीं है, यह हमारे देश के व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र को दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के साथ सशक्त बनाने के बारे में भी
है। ”
पश्चिम बंगाल में, सागरमाला कार्यक्रम के तहत 16,300 करोड़ रुपये मूल्य की 62 परियोजनाओं की देखरेख की जाती है। इनमें से लगभग 1100 करोड़ रुपये की 19 परियोजनायें पूरी जा चुकी हैं। अतिरिक्त कुल 15 हजार करोड़ रुपये की 43 परियोजनायें क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की ओर से आंशिक रूप से वित्त पोषित लगभग 650 करोड़ रुपये की राशि से 11 परियोजनाओं में छह परियोजनायें (मूल्य 400 करोड़ रुपये) पूरी हो चुकी हैं और पांच परियोजनायें (मूल्य 250 करोड़ रुपये) विकासाधीन हैं।
विशेष रूप से, तटीय जिला कौशल विकास कार्यक्रम – चरण 2 के तहत पश्चिम बंगाल के लिये 6.32 करोड़ रुपये स्वीकृत हुये हैं। इनमें से 2.10 करोड़ रुपये दिसंबर 2019 में जारी किये जाने के बावजूद अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। अन्य उपलब्धियों में, सड़क संपर्क सुधार (लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से) जैसी परियोजनाओं से यातायात प्रवाह सुधरा है और बंदरगाह संपर्क में सुधार हुआ है। कोलकाता बंदरगाह के ईजेसी यार्ड में पटरियों का उन्नयन (47 करोड़ रुपये की लागत से) हुआ है, जिससे परिचालन दक्षता में वृद्धि हुई है और पटरी से उतरने की घटनाओं में कमी आयी है ।
समुद्री अमृत काल विजन 2047 के तहत, विश्व स्तरीय अगली पीढ़ी के बंदरगाहों की दिशा में विभिन्न पहल की गयी हैं। इनमें 300 एमटीपीए से अधिक क्षमता वाले प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों को शामिल करते हुये बंदरगाह क्लस्टर का विकास, बंदरगाहों पर गहरे ड्राफ्ट (18-23 मीटर) का निर्माण, ट्रांसशिपमेंट हब, दो नये प्रमुख बंदरगाहों का विकास, पोत संबंधी शुल्क कम करना, पीएम गति शक्ति – एनएमपी और परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना आदि के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना शामिल है।
इसके अलावा, समुद्री अमृत काल विजन 2047 एक्शन प्लान में समुद्री क्लस्टर की भी पहचान की गयी है, जिसमें बंदरगाहों के साथ औद्योगिक क्लस्टर बनाना शामिल है। इसमें डीपीए, वीओसीपीए, एसएमपीए (हल्दिया) और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भी शामिल हैं। समुद्री औद्योगिक क्लस्टर बनाने की प्रमुख पहलों में औद्योगिक क्लस्टर विकसित करने के लिये निजी क्षेत्र के साथ मॉडल की पहचान, औद्योगिक क्लस्टर के लिये प्रमुख वस्तुओं की पहचान, निवेशक अनुकूल नीतियों को अपनाना आदि शामिल हैं। औद्योगिक क्लस्टर के अलावा, तीन द्वीपों का विकास, अर्थात् ग्रेटर अंडमान और निकोबार द्वीप पर निकोबार और पोर्ट ब्लेयर को क्रमशः बंकरिंग हब और जहाज मरम्मत केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है । इसके अलावा, कल्पेनी द्वीप को वेसल स्पेयर्स और स्टोर के लिये विकसित किया जा सकता है। थीम के तहत 30 पहलों की पहचान की गयी है, जिनमें से इन द्वीपों को विकसित करने की प्रमुख पहलों में बुनियादी संरचना, संस्थागत और नीति/ नियामक पहल शामिल होंगी ।
यह परिवर्तनकारी पहल ढांचागत विकास को बढ़ावा देने और समुद्री व्यापार आदि को बढ़ावा देने के लिये सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।