लोहा और इस्पात के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग, केंद्रीय इस्पात मंत्री ने सभी संभावनाओं को तलाशने का आह्वान किया
केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने नई दिल्ली में लोहा और इस्पात के निर्माण में प्लास्टिक कचरे के उपयोग की संभावना तलाशने के लिए इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य और भारतीय इस्पात अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मिशन (एसआरटीएमआई) के निदेशक अंशुमन त्रिपाठी के साथ एक बैठक बुलाई।
प्लास्टिक कचरे का उपयोग/निपटान एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दा है और इसे संबोधित करने की आवश्यकता है। दुनिया भर के अधिकांश देश प्लास्टिक कचरे के प्रभावी उपयोग के विकल्प तलाश रहे हैं और कुछ देश इस कचरे का उपयोग लोहा और इस्पात उद्योग में कर रहे हैं।
इसके अनुसार, कोक ओवन, ब्लास्ट फर्नेस और इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस जैसे क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे के उपयोग की उपयुक्तता और इसके लाभ तथा हानियों पर चर्चा की गई। इस्पात उद्योग द्वारा वर्तमान में प्रचलित प्लास्टिक कचरे के उपयोग की मात्रा, इसके पृथक्करण सहित पूर्व-उपचार प्रक्रिया, तकनीकी-अर्थशास्त्र और इस्पात निर्माण प्रक्रियाओं आदि में इसके उपयोग पर उत्सर्जन और प्रभाव आदि पर भी चर्चा की गई।
इस्पात मंत्री ने सचिव (इस्पात) संजय कुमार सिंह को गृह मंत्रालय और पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ इस संबंध में बातचीत करने का निर्देश दिया।
इस्पात मंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि इस्पात क्षेत्र द्वारा प्लास्टिक कचरे के उपयोग के लिए एक महीने के भीतर एसआरटीएमआई द्वारा एक कार्य योजना तैयार की जाए।