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उप राष्ट्रपति ने युवाओं को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराये जाने की आवश्यकता पर बल दिया

उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कृष्णदेवराय जैसे महान राजाओं की कहानियों को हमारे इतिहास की किताबों में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिये ताकि युवा पीढ़ी को प्रेरित किया जा सके।

कर्नाटक के बेल्लारी जिले में स्थित विजयनगर साम्राज्य के प्रसिद्ध केन्द्र हम्पी का दौरा करने के बाद एक फेसबुक पोस्ट में उप राष्ट्रपति ने कहा कि यह ऐतिहासिक स्थल हमें हमारे समृद्ध और जीवंत अतीत की याद दिलाता है। उन्होंने साथ ही कहा, “मैं सभी शैक्षणिक संस्थानों से ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर छात्रों के दौरों का आयोजन करने का आग्रह करता हूं ताकि वे हमारी समृद्ध और गौरवशाली विरासत को बेहतर तरीके से जान सकें।”

यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल की भव्यता और वैभव की प्रशंसा करते हुए, नायडू ने कहा कि इस ऐतिहासिक तीर्थयात्रा ने उन्हें हमारे पूर्वजों की दूरदर्शिता और कौशल के बारे में गर्व की भावना से भर दिया।

1336 में कृष्णा और तुंगभद्रा नदी घाटियों के बीच दो भाइयों हरिहर राय प्रथम और बुक्का राय प्रथम द्वारा स्थापित किया गया विजयनगर साम्राज्य शक्तिशाली राजा श्री कृष्णदेवराय के शासनकाल में अपने स्वर्ण युग में पहुंच गया। इस अवधि के दौरान, दुनिया भर में व्यापार का विस्तार हुआ और संगीत, नृत्य, साहित्य, चित्रकला, मूर्तिकला और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों ने एक नई ऊंचाई देखी और इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी। उप राष्ट्रपति ने लिखा, “इस अवधि के दौरान तेलुगु साहित्य शानदार ऊंचाइयों तक पहुंचा और विजयनगर मध्यकालीन भारत का सबसे प्रसिद्ध महानगर बन गया।”

महान कृष्णदेवराय के योगदान को याद करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह एक महान साहित्यकार-राजा थे, जिन्होंने तेलुगु महाकाव्य, अमुक्तमलयदा की रचना की, जो देवी लक्ष्मी के अवतार अंदल द्वारा अनुभव की गयी पीड़ा का वर्णन करती है। सम्राट, कृष्णदेवराय के दरबार में आठ प्रसिद्ध विद्वानों और कवियों के नामों को सूचीबद्ध करते हुए, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘अष्टदिग्गज’ या साहित्य के आठ असाधारण व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है, श्री नायडू ने कहा कि ये महान साहित्यिक दिग्गज, अल्लसानी पेदन्न, नंदी थिम्मन्ना, मदयगारी मल्लन्ना, धुरजति, अय्यालयराजू रामभद्रुघी, पिंगल सुरन्ना, रामराजाभूषणुडु और तेनाली रामकृष्ण ने मिलकर तेलुगु साहित्य और कविता को शुद्धता और उत्कृष्टता की असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

नायडु ने आगे लिखा कि किलों, महलों, मंदिरों और बाजार स्थलों के अवशेष विजयनगर साम्राज्य की महिमा के साक्षी हैं। उन्होंने कहा कि हम्पी में प्रत्येक स्मारक में एक खास विशेषता है जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देती है और इसकी भव्य सांस्कृतिक महानता को दर्शाती है।

उप राष्ट्रपति जो कल यहां पहुंचे थे। उन्होंने हम्पी में विरुपाक्ष मंदिर, गरुड़ मंदिर (पत्थर के रथ) गणेश प्रतिमाएं, लक्ष्मी नरसिंहा, बडविलिंग, विजया विट्ठल मंदिर, पुष्करणी, कमल महल और हजार राम मंदिर सहित विभिन्न स्थलों का दौरा किया। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ विरुपाक्ष मंदिर में पूजा-अर्चना की और उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों द्वारा हम्पी विश्व धरोहर स्थल के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। उन्होंने साइट पर एएसआई द्वारा किए जा रहे कायों की सराहना की और हमारी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में मदद करने के लिए स्थानीय निवासियों सहित सभी को एक साथ आने की आवश्यकता पर जोर दिया।

बाद में शाम को उप राष्ट्रपति कर्नाटक राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखेंगे। इसके बाद, वह विश्व धरोहर स्थल पर हम्पी के इतिहास की जानकारी देने वाला लाइट एंड साउंड शो भी देखेंगे।