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भरतपुर में उपराष्ट्रपति जी ने आज लक्ष्मण मंदिर में दर्शन किये

माननीय उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ आज अपनी एक दिवसीय यात्रा पर भरतपुर, राजस्थान पहुंचे। अपनी यात्रा की शुरुआत उन्होंने भरतपुर में मंदिर श्री लक्ष्मण जी महाराज के दर्शन कर आरंभ की। धनखड़ ने प्रार्थना की कि “त्याग, तप और वीरता की मूर्ति प्रभु लक्ष्मण सभी को आत्मबल दें और सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।”

इसके पश्चात उपराष्ट्रपति जी ने भरतपुर बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में भाग लिया। यह समारोह महाराजा सूरजमल बार सभागार में आयोजित किया गया।

उपस्थित वकीलों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि जीवन मे यहाँ तक पहुंचने में भरतपुर के वकीलों का बहुत योगदान है। अपने वकालत के दिनों की पुरानी यादें को ताजा करते हुए उन्होंने अनेक रोचक संस्मरण सुनाये और उन वरिष्ठजनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जिन्होंने उन्हें जीवन में मार्गदर्शन दिया और हाथ पकड़कर उन्हें आगे बढ़ने में सहायता की।

अधिवक्ताओं को अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि प्रजातंत्र की रक्षा में और कानून का राज स्थापित करने में वकील समुदाय की सशक्त भूमिका है।

उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि भारत की न्याय व्यवस्था बेहद मजबूत है लेकिन कुछ लोगों को जब कानून का नोटिस मिलता है तो बजाय कोर्ट में जाने के सड़कों पर प्रदर्शन करने पर उतारू हो जाते हैं। इस प्रवृत्ति को रोकना जरूरी है।

भारतीय दंड संहिता में प्रस्तावित बदलावों के बारे में बताते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि ये कानून अंग्रेजों की विरासत थी और इनके कई प्रावधान अनावश्यक परेशान करने वाले थे। इनकी जगह आ रहे नये कानून नये भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे और न्याय दिलाने में वकीलों के काम को और भी सार्थक करेंगें। उन्होंने कहा कि जिस देश में न्याय देने की व्यवस्था कमजोर हो जायेगी तो प्रजातंत्र फलेगा-फूलेगा नहीं।

संविधान से धारा 370 हटाने को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए धनखड़ ने कहा कि इसका असर कश्मीर के विकास में दिख रहा है और वहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि जब हमारा महान भारत दुनिया में दबंग रूप दिख रहा है तो कुछ लोगों का हाजमा खराब हो रहा है और वे देश के बारे में नकारात्मकता फैलाते हैं।

संसद औए विधानसभाओं में व्यवधानों की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इन मंचों का प्रयोग विचार-विमर्श और संवाद के लिये होना चाहिये। आप दूसरों कर मत से सहमत भले ही न हों, लेकिन यदि आप दूसरे के मत को सुनने को ही तैयार नहीं हैं तो यह स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी नहीं है। धनखड़ ने लोगों से आह्वान किया कि वे अपने जनप्रतिनिधियों से जवाबदेही मांगे ताकि उनका आचरण अनुकरणीय बने।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे से आप सहमत-असहमत हो सकते हैं लेकिन यह कहना कि हम इस पर चर्चा ही नहीं करेंगे, अलोकतांत्रिक है।

धनखड़ ने वकीलों से अपील की कि वे प्रण करें कि अपने देश का हित बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और स्वस्थ प्रजातांत्रिक व्यवस्था देश में पनपे, इस दिशा में प्रयास करेंगे।

आज कर्नल बैंसला की जन्म जयंती है और उपराष्ट्रपति जी करौली में उनके गांव गुडला पहाड़ी पहुंचकर ‘कर्नल बैंसला जयंती महोत्सव’ में भाग लेने वाले थे। लेकिन खराब मौसम के चलते उनका हेलीकॉप्टर करौली में न उतर सका। कर्नल बैंसला की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि “बैंसला ने अपने जीवन की शुरुआत सेना में सिपाही पद से की, फिर अपनी प्रतिभा के बल पर कर्नल के पद तक पहुंचे। उन्होंने देश के लिए 1962, 65 और 71 की लड़ाइयां लड़ीं।”

कर्नल बैंसला के समाज सुधार कार्यों के बारे में बोलते हुए धनखड़ ने कहा कि “समाज को उनके 3 संदेश थे – पहला बच्चियों को पढ़ाओ, दूसरा उनकी शादी कम उम्र में मत करो, और तीसरा कर्जमुक्त होने का।”

इस अवसर पर राजस्थान सरकार के मंत्री, डॉ. सुभाष गर्ग, भरतपुर की सांसद, रंजीता कोली, भरतपुर के जिला प्रमुख, कुंवर जगत सिंह, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, नरेन्द्र कुमार गौतम, बार के पदाधिकारी, वकील और न्यायिक कर्मचारी उपस्थित रहे।