हम 2025 तक 10 बिलियन डॉलर से अधिक के चमड़ा निर्यात लक्ष्य की उम्मीद कर सकते हैं: गोयल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण एवं कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत के चमड़ा उद्योग को विश्व में पहला स्थान बनाने की आकांक्षा करनी चाहिए। आज यहां चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के राष्ट्रीय निर्यात उत्कृष्टता पुरस्कार प्रस्तुति समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम पहले ही दुनिया में दूसरे सबसे बड़े चमड़ा उद्योग हैं।
गोयल ने कहा, ‘मैं इस बात से बहुत, बहुत अधिक संतुष्ट हूं कि आप 2025 तक कम से कम 10 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की आकांक्षा कर रहे हैं, हालांकि अभी भी यह आपको केवल 15-17 प्रतिशत की वृद्धि दर ही प्रदान कर रहा है। जबकि आप सबकी क्षमता पर गौर करने के बाद… मैं समझता हूं कि हम और भी अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केवल कोल्हापुरी चप्पल ही 1 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य अर्जित कर सकती है।
गोयल ने चमड़ा उद्योग से आत्मनिर्भर बनने और नई स्कीमों को आरंभ करने, सब्सिडी दरों पर भूमि उपलब्ध कराने, पीएलआई प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतीक्षा न करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि ये सभी चीजें आपकी प्रगति को बाधित करेंगी।’
उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार चमड़ा क्लस्टरों के काफी निकट बीआईएस मानक प्रयोगशालाओं को स्थापित कर चमड़ा उद्योग को उसका लक्ष्य अर्जित करने में सहायता करेगी।
मंत्री ने कहा, ‘आपका उद्योग नवोन्मेषण, उच्च गुणवत्ता, डिजाइन, निर्यात में अच्छा सम्मान, विश्व बाजारों में अग्रणी रहा है।’
गोयल ने कहा कि भारत का चमड़ा उद्योग शेष दुनिया की तुलना में ‘प्रतिस्पर्धी और तुलनात्मक लाभ वाला रहा है और उसका लक्ष्य ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड को उत्कृष्टता का हॉलमार्क बनाना है।
उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि बहुत सारे (उच्च गुणवत्ता वाले) उत्पाद भारत में बनते हैं लेकिन वे दुनिया भर में इनमें से कुछ कंपनियों की ब्रांडिंग प्रक्रियाओं द्वारा उच्च मार्क-अप्स को बेचे जाते हैं।’