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भारत में क्यों वेंटिलेटर की कमी से मर रहे हैं लोग?

स्वास्थ सचिव मार्च में 40,000 वेंटिलेटर लगाने की बात कर रहे थे तो अप्रैल में नीती आयोग के चीफ अमिताभ कांत 50,000 वेंटिलेटर के लिए उद्योग जगत से बात कर रहे थे. 6 अप्रैल 2020 को इंडियन एक्सप्रेस में अमिताभ कांत वाली खबर छपी है. 1 मई 2020 को एम्पावर्ड ग्रुप की प्रेस कांफ्रेंस होती है जिसमें जाता है कि 60,884 वेंटिलेटर के लिए ऑर्डर दे दिया गया है. संसद को एक कानून बनाना चाहिए कि काम करना काम नहीं है बल्कि बात करना काम है.

आंध्र प्रदेश के तिरुपति के रुइया अस्पताल में आक्सीज़न की सप्लाई में बाधा आने से 11 मरीज़ों की मौत हो गई. तेलंगाना के भी एक दो अस्पतालों से ऐसी खबर आई है लेकिन प्रशासन ने पुष्टि नहीं की है. न जाने कहां कहां इस तरह से नरसंहार जारी है. आम तौर पर नरसंहार की खबरें बिना पुष्टि के बाहर आ जाती हैं मगर आक्सीजन की कमी से मरने वालों को प्रशासन की पुष्टि का इंतज़ार करना पड़ता है. रुइया अस्पताल की तस्वीरें इतनी भयावह हैं कि हम नहीं दिखा रहे हैं.

यह भी मुमकिन है कि इतनी मौत हो गई हो कि जलाने की जगह और सामग्री कम पड़ गई हो और लोगों ने लाशों को बहा दिया हो. यूपी की सीमा से सटे बिहार के सारण जिले के मांझी प्रखंड में एक पुल है जिसका नाम है जयप्रभा सेतु. यहां देखा गया है कि लोग कोविड संक्रमित शवों को नदी में फेंक रहे हैं.

आपको याद होगा पिछले साल जब महामारी ने दस्तक दी थी तो दो बातें कही जाती थीं. टेस्टिंग, टेस्टिंग, टेस्टिंग. वेंटिलेटर वेंटिलेटर वेंटिलेटर. एक साल बाद भारत में टेस्टिंग का हाल यह है कि दिल्ली एनसीआर में अप्रैल के महीने में खुद मैंने टेस्ट के लिए बुक किया तो सैंपल लेने के लिए चार दिन बाद का समय मिला. एक दो तो पैसे लेकर आए ही नहीं. कई ऐसे मामले सामने आए कि कोविड का मरीज़ मर गया, उसके बाद रिपोर्ट आई है. बहुतों का तो टेस्ट ही नहीं हुआ. जब अप्रैल में ही टेस्टिंग नहीं हो रही थी तो मई की इस खबर का क्या किया जाए कि टेस्टिंग कम कर दी गई है. अब आते हैं वेंटिलेटर की बात पर. इस दौरान आक्सीज़न के बाद दूसरी अपील वेंटिलेटर की आई. वेंटिलेटर को लेकर जिस तरह पिछले साल दावे किए गए हैं वो बताने जा रहा हूं ताकि फ्लैश बैक में आपको पता चले कि आपको किस तरीके से बुद्धिमान बनाया जा रहा था. बुद्धू ठीक नहीं लगता है क्योंकि आज कल बुद्धिमान भी इसी ग्रेड के मिलते हैं. अब आपको पता चलेगा कि कैसे वेंटिलेटर के नाम पर इस देश में वेंटिलेटरी हो रही थी.

जो व्यक्ति पिछले साल जून में भारत में हर दिन 1000 वेंटिलेटर बनाने की बात कर रहे थे वो इस साल अप्रैल में विदेशी मदद के तौर पर आए वेंटिलेटर का स्वागत कर रहे हैं. कस्टम की मंज़ूरी मिलने की बधाई दे रहे हैं. अमिताभ कांत को बताना चाहिए कि हर दिन बनने वाला 1000 वेंटिलेटर कहां गया? उनके हिसाब तो अब तक भारत में ढाई लाख से अधिक वेंटिलेटर बन गए होंगे. सब निर्यात कर दिया? 

हिन्दू बिज़नेस लाइन की 24 मार्च की रिपोर्ट है. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ICMR का एक शोध पत्र है कि उस समय किए गए सबसे ख़राब अनुमान के अनुसार दिल्ली में 90 लाख लोगों को हल्के लक्षण वाला संक्रमण होगा और 4.5 लाख लोगों को वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ेगी.

सिर्फ दिल्ली के लिए यह अंदाज़ा था वो भी पिछले साल का. इस साल कितने लोगों को वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ी और कितनों को मिला और कितनों को नहीं मिला जिसके कारण वे मर गए, इसकी कोई गिनती नहीं है. do you get my point. हम फ्लैशबैक में आपको यही बताना चाहते हैं कि कैसे अलग अलग समय में आंकड़े जारी होते हैं और बाद में पता चलता है कि जितना दावा किया गया था उतना वेंटिलेटर आया ही नहीं. 22 मार्च को स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल का बयान आता है कि 1200 वेंटिलेटर के ऑर्डर दिए गए हैं. पांच दिन बाद 27 मार्च को बयान आया है कि 40,000 वेंटिलेटर चाहिए.

लव अग्रवाल 27 मार्च – “हमारे एक PSU को हमने 10 हज़ार वेंटिलेटर की आपूर्ति करने के आदेश जारी किए हैं. इसके साथ ही भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड से भी एक से दो महीने के अंतर्गत 30 हज़ार एडिशनल वेंटिलेटर ख़रीदने का अनुरोध किया गया है. जैसा कि आपको मालूम होगा कि भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड रक्षा मंत्रालय का एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है. सरकार देश में वेंटिलेटर की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सभी required कार्य कर रही है.”

स्वास्थ्य सचिव मार्च में 40,000 वेंटिलेटर लगाने की बात कर रहे थे तो अप्रैल में नीती आयोग के चीफ अमिताभ कांत 50,000 वेंटिलेटर के लिए उद्योग जगत से बात कर रहे थे. 6 अप्रैल 2020 को इंडियन एक्सप्रेस में अमिताभ कांत वाली खबर छपी है. 1 मई 2020 को एम्पावर्ड ग्रुप की प्रेस कांफ्रेंस होती है जिसमें कहा जाता है कि 60,884 वेंटिलेटर के लिए ऑर्डर दे दिया गया है. संसद को एक कानून बनाना चाहिए कि काम करना काम नहीं है बल्कि बात करना काम है. इससे देश की जो तरक्की होगी किसी और चीज़ से नहीं होगी. क्योंकि बात में कोई चालीस हज़ार वेंटिलेटर का डेटा दे रहा है तो कोई पचास हज़ार का.

4 अगस्त 2020 को लाइव मिंट की एक खबर दिखाना चाहता हूं जो दूसरी जगहों पर भी छपी है. एक प्रेस कांफ्रेस में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण कहते हैं कि 60,000 वेंटिलेटर का आर्डर दिया गया था. 96 प्रतिशत मेक इन इंडिया का है. इसमें से 50,000 वेंटिलेटर पीएम केयर फंड से खरीदने का आर्डर हुआ है जिसके लिए 2000 करोड़ दिया गया है. राज्यों को 18,000 वेंटिलेटर की सप्लाई हो गई है.

14 अगस्त को बिज़नेस स्टैंडर्ड में खबर छपती है कि भारत इलेक्ट्रीकल लिमिटेड ने एलान किया है कि 30,000 वेंटिलेटर बनाकर दे दिए गया है.

अब 29 अप्रैल 2021 की बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट देखिए. इसमें कहा जा रहा है कि 35,179 वेंटिलेटर ही खरीदा गया. लेकिन दिसंबर के अंत में पीटीआई के हवाले से खबर छपती है सरकारी अस्पतालों में 36,433 वेंटिलेटर लगाए गए हैं. 50 हज़ार के वादे के हिसाब से देखें तो कुल 13,567 वेंटिलेटर कम ही आए. 60,000 हज़ार के हिसाब से जितना आर्डर दिया गया था उससे काफ़ी कम सप्लाई है. कब नंबर गोल हो जाता है कब नंबर आधा हो जाता है पता नहीं चलता।