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केरल के इंस्टीट्यूट में विशेष समुदाय को क्यों मिल रहा 50 प्रतिशत आरक्षण?

एक ओर जहां सामान्य समुदाय से सम्बन्ध रखने वाले छात्रों को दिन रात मेहनत के बाद शिक्षण संस्थानों में प्रवेश नहीं मिल पाता, वहीं केरल में विशेष समुदाय के छात्र – छात्राओं को सरकारी शिक्षण संस्थानों के प्रवेश के लिए आवेदन पत्र से लेकर सीट तक आरक्षण प्राप्त होता है |

केरल के एक मामले में प्रकाश डालें तो वहा के एक इंस्टीट्यूट (institute of career studies and research) 50% सीट मुस्लिम छात्रों को, 8% सीटे एससी छात्रों और 2% एसटी छात्रो के लिए आरक्षित की गई हैं | लेकिन ऐसा क्यों ? आइए जानते हैं इस खबर में…

दरअसल केरल में कांग्रेस की सरकार है और 1947 से ही अंग्रेजो की “फूट डालो राजनीति करो” का अनुसरण कर रही है| कांग्रेस की इस नीति के कारण ही आज सिख समुदाय और दलित समुदाय हिन्दू समाज से दूर होता दिखाई दे रहा हैं।

कांग्रेस सरकार ने एक खास समुदाय पर हमेशा मेहरबानी दिखाते हुए देश के पूरे खजाने को खास समुदाय के लिए खोल कर रख दिया था| सब्सिडी को लेकर हर सुविधा पर मुसलमानों का हक़ सर्वप्रथम ही रहा है | 1947 के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था में अनेक बदलाव ही नहीं किए गए वरन ज्ञान को ध्वस्त करने के हर भरसक प्रयास भी किये गए। जहां एक तरफ गुरुकुल व्यवस्था को समाप्त किया गया वहीं दूसरी ओर शिक्षा का व्यापारिकरण किया गया |

दरअसल केरल में सत्ता में बने रहने के लिए सरकार मुस्लिमों को बढ़ावा देती है तो दूसरी ओर हिन्दुओं के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है।

इसी प्रकार केरल के लिंगायत सम्प्रदाय को अल्पसंख्यक और गैर हिन्दू क़ानूनी रूप से सिद्ध करने का षड़यंत्र रचा गया है। इसके लिए सरकारी नौकरियों में छोटा मोटा आरक्षण और कुछ झूटे चुनावी वायदे किये गए |

आज हिन्दू समाज को समझने की आवश्यकता है कि हिन्दू समाज की सबसे बड़ी ताकत एकता है | जिसके सामने इस्लामिक आतंकवाद, ईसाईयों का सुयोजित धर्मान्तरण, साम्यवादियों की संस्कृति विरोधी मुहीम, दलित राजनीति के नाम पर हिन्दुओ में अलगाव, विदेशी अतिक्रमण जैसी अनेक चुनौतियां हैं।