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‘विज्ञान-आधारित कहानियों का रेडियो के माध्यम से कैसे प्रसार किया जाए’ विषय पर सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा कार्यशाला का आयोजन

सीएसआईआर- राष्ट्रीय विज्ञान संचान एवं नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) की ओर से आज ओरिएंटेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें नामचीन विशेषज्ञों की बहुमूल्य अंतर्दृष्टि के साथ विज्ञान मीडिया संचार प्रकोष्ठ (एसएमसीसी) को सशक्त बनाने का प्रयास किया गया। नई दिल्ली में पूसा कैंपस में स्थित सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के विवेकानंद हॉल में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य एसएमसीसी कर्मचारियों के साथ-साथ पीएचडी छात्रों को रेडियो के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) की कहानियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रभावी रणनीतियों के साथ प्रशिक्षित करना था।

(बाएं से दाएं) : श्री कुलदीप धतवालिया, श्री मनोज मैनकर, डॉ. सुजीत भट्टाचार्य और डॉ. मनीष मोहन गोरे। इस दौरान सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और कार्यवाहक निदेशक सुजीत डॉ. भट्टाचार्य ने स्वागत भाषण दिया

ऑल इंडिया रेडियो नई दिल्ली स्टेशन के कार्यक्रम कार्यकारी श्री मनोज मैनकर ने ऑडियो प्रारूप के लिए दमदार विज्ञान कहानियों को तैयार करने पर अपने बहुमूल्य सुझाव साझा किए। उन्होंने आवाज की गुणवत्ता (वीक्यू), वॉयस इमोशनल कोशेंट (वीईक्यू) और संरचना सहित स्वर प्रस्तुति के आवश्यक सिद्धांत पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने विविध प्रकार के श्रोताओं से जुड़ने और रेडियो श्रोताओं के लिए विज्ञान की कहानियों को जीवंत बनाने पर प्रकाश डाला। साथ ही स्पष्ट उच्चारण, आकर्षक प्रस्तुति के साथ ही अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों आधुनिक बोली जाने वाली भाषा के प्रभावी उपयोग के महत्व पर चर्चा की।

मनोज मैनकर ने रेडियो के लिए स्पष्ट उच्चारण, आकर्षक प्रस्तुति और आधुनिक बोली जाने वाली भाषा के प्रभावी उपयोग के महत्व पर बात की

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के मुख्य वैज्ञानिक और कार्यवाहक निदेशक डॉ. सुजीत भट्टाचार्य ने विज्ञान संचार में रेडियो के महत्व पर जोर दिया जो वैज्ञानिक अनुसंधान और लोगों के बीच की दूरी को कम करता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं से एसएमसीसी को रेडियो कार्यक्रमों के माध्यम से जटिल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी जानकारी को स्पष्ट, आकर्षक एवं सुगम तरीके से प्रसारित करने के लिए आवश्यक साधन और रणनीतियों के साथ प्रशिक्षित किया जाता है।

वर्कशॉप के जरिए एसएमसीसी को संचार में ऑडियो की ताकत और बोली गई भाषा की बारीकियों की गहरी समझ के साथ निखारा गया। इस तरह के ज्ञान और अनुभव निश्चित रूप से प्रतिभागियों में विशिष्ट श्रोताओं से जुड़कर लक्षित संचार के सूत्र तैयार करने का सामर्थ्य विकसित करेंगे। इससे बड़े पैमाने पर लोगों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ेगी।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के वैज्ञानिक और एसएमसीसी के प्रधान शोधकर्ता डॉ. मनीष मोहन गोरे ने एसएमसीसी के उद्देश्यों, काम करने की रणनीति और कुछ ठोस परिणामों के बारे में संक्षिप्त रूपरेखा से परिचय कराया। इसके अलावा उन्होंने ओरिएंटेशन कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया। एसएमसीसी के परियोजना प्रबंधक श्री कुलदीप धतवालिया, एसएमसीसी के परियोजना स्टाफ सदस्यों के साथ-साथ पीएचडी छात्रों ने कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लिया और विशेषज्ञों से बहुत सी नई चीजें सीखीं।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) विज्ञान संचार, साक्ष्य-आधारित एसएंडटी नीति अनुसंधान को आगे बढ़ाने और लोगों के बीच वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
नवीन पहल और सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर वैज्ञानिक समुदाय और आम लोगों के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास करता है। साइंस मीडिया कम्युनिकेशन सेल (एसएमसीसी) जनसंचार के विभिन्न मंचों के माध्यम से भारतीय प्रयोगशालाओं की अनुसंधान एवं विकास सफलताओं को समाज तक प्रसारित करने के लिए सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की एक नई पहल है।