विश्व के दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत जीन बैंक का लोकार्पण
राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (National Bureau of Plant Genetic Resources- NBPGR), पूसा, नई दिल्ली में विश्व के दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत-अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक का लोकार्पण केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया।
इस अवसर पर तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियों को स्वीकार करते हुए उन पर विजयी प्राप्त करने में भारत के किसान पूरी तरह सक्षम है, हमारे किसान बिना किसी बड़ी शैक्षणिक डिग्री के भी कुशल मानव संसाधन है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को किसानों की भलाई की लगातार चिंता रहती है और उनकी आय बढ़ाने के लिए अनेक योजनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए गए हैं।
तोमर ने प्रो. बी.पी. पाल, प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन और प्रो. हरभजन सिंह जैसे दूरदर्शी विशेषज्ञों की सेवाओं को सराहते हुए कहा कि इन्होंने देश में स्वदेशी फसलों की विविधता संरक्षण के लिए मजबूत नींव रखी थी। हमारा गौरवशाली अतीत रहा है, उसे पढ़कर देश की प्रगति के लिए सभी को भविष्य के प्रति जिम्मेदारी के भाव के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। यह नवीनीकृत-अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक इसी दिशा में एक सशक्त हस्ताक्षर है। यहां काम करने वाले स्टाफ को निश्चित ही संतोष व प्रसन्नता का अनुभव होता होगा कि वे विरासत को सहेजते हुए किस तरह से कृषि क्षेत्र व देश की सेवा कर रहे हैं। आज बायोफोर्टिफाइड फसलों की किस्मों की आवश्यकता महसूस की जा रही है, कहीं ना कहीं असंतुलन है, जिसे दूर करने की कोशिशें सरकार किसानों को साथ लेकर कर रही है।
तोमर ने कहा कि पुरातन काल में साधन-सुविधाओं का अभाव था, इतनी टेक्नालाजी भी नहीं थी, लेकिन प्रकृति का ताना-बाना मजबूत था, पूरा समन्वय रहता था, जिससे तब देश में न तो कुपोषण था, ना ही भूख के कारण मौतें होती थी। लेकिन जब यह ताना-बाना टूटा तो हमें मुश्किलें पेश आने लगी और विशेष प्रयत्न करने की जरूरत पड़ी। सरकार के किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के साथ सफल प्रयत्नों के फलस्वरूप आज खाद्यान्न की उत्पादन व उत्पादकता निरंतर बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि बीस-तीस साल पहले इतने प्रयत्न नहीं किए गए, खेती-किसानी के विकास पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था, उसमें चूक हुई अन्यथा कृषि व सम्बद्ध क्षेत्र को लेकर आज दुनिया, भारत पर अवलंबित होती
पादप आनुवंशिक संसाधनों (पीजीआर) के बीजों को भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने हेतु वर्ष 1996 में स्थापित नेशनल जीन बैंक में बीज के रूप में लगभग 10 लाख जर्मप्लाज्म को संरक्षित करने की क्षमता है। वर्तमान में 4.52 लाख परिग्रहण का संरक्षण कर रहा है, जिसमें 2.7 लाख भारतीय जननद्रव्य है व शेष अन्य देशों से आयात किए हैं। राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, दिल्ली मुख्यालय व देश में 10 क्षेत्रीय स्टेशनों के माध्यम से इन-सीटू और एक्स-सीटू जर्मप्लाज्म संरक्षण की आवश्यकता को पूरा कर रहा है।