केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वैश्विक दूरसंचार विनिर्माण क्षेत्र की धुरी बनने के लिए पीएलआई योजना शुरू की
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आज दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए उत्पादन से संबद्ध लाभ (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी गई, जिसके लिए बजट में 12,195 करोड़ रुपए व्यय करने का प्रावधान किया गया है।
पीएलआई योजना का लक्ष्य भारत में दूरसंचार तथा नेटवर्किंग उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही वित्तीय लाभ देने के प्रस्ताव से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और दूरसंचार तथा नेटवर्किंग उत्पादों के क्षेत्र में निवेश आकर्षित किया जा सकेगा। इस तरह ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह योजना दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करेगी, जो ‘मेड इन इंडिया’ हैं।
इस योजना के तहत उन कंपनियों/उद्यमों को सहायता मुहैया कराई जाएगी, जो विशेष रूप से दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों का निर्माण करते हैं। पात्रता इस बात पर निर्भर करेगी कि चार वर्ष की अवधि में संचयी वृद्धिशील निवेश की न्यूनतम सीमा और आधार वर्ष 2019-2020 के आधार पर निर्मित उत्पादों की कुल बिक्री, करों के शुद्ध रूप में क्या रही। कुल संचयी निवेश एकमुश्त किया जा सकता है, बशर्ते वह चार साल की अवधि के लिए निर्धारित संचय सीमा को पूरा करता हो।
वैश्विक तौर पर दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पादों का निर्यात 100 बिलियन अमरीकी डॉलर का बाजार अवसर प्रदान करता है, भारत जिसका लाभ उठा सकता है। इस योजना के तहत सहायता से भारत वैश्विक कंपनियों से भारी निवेश आकर्षित कर सकता है और साथ ही साथ घरेलू श्रेष्ठ कंपनियों को इन उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित कर वैश्विक निर्यात बाजार में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कर सकता है।
“आत्मनिर्भर भारत” के तहत विनिर्माण और निर्यात क्षमता में वृद्धि करने की रणनीतियों के अंग रूप में यह योजना उस महत्वपूर्ण योजना का हिस्सा है, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न मंत्रालयों/विभागों खासतौर से दूरसंचार विभाग में पीएलआई लागू करने के उद्देश्य से नवंबर 2020 में मंजूरी दी थी।
इसके तहत आधार वर्ष से पांच वर्ष की अवधि के लिए एमएसएमई के लिए 7 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक लाभों के साथ न्यूनतम 10 करोड़ रुपए के निवेश और अन्य के लिए 6 प्रतिशत से 4 प्रतिशत तक के लाभों के साथ 100 करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव है। एमएसएमई और गैर एमएसएमई श्रेणियों में उच्च निवेश वाले आवेदकों का चयन पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा।
इस योजना के साथ भारत दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के विनिर्माण के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित हो सकेगा। उम्मीद है कि पांच वर्ष में इसका वृद्धिशील उत्पाद 2 लाख करोड़ रुपए के लगभग हो जाएगा। भारत विनिर्माण के क्षेत्र में अपनी प्रतिस्पर्धा में सुधार कर सकेगा।
उम्मीद है कि इस योजना से 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश आकर्षित होगा और यह बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर पैदा करेगा।
इस नीति के जरिए भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। भारत में बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए लाभ दिए जाने से घरेलू स्तर पर धीरे-धीरे मूल्य संवर्धन बढ़ेगा। एमएसएमई को अधिक लाभ देने के प्रावधान से घरेलू दूरसंचार विनिर्माताओं को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।