भाजपा ने केजरीवाल के ईमानदारी को बताया प्रदूषित, केजरीवाल पर लगाया भारत का सबसे बड़ा घोटाले का आरोप
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर दो लाख ‘फर्जी’ निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके लिए आवंटित धन की हेराफेरी से प्राप्त धनराशि को आम आदमी पार्टी से जुड़े कामकाज में लगाया गया। भाजपा ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी के संयोजक की ईमानदारी ‘प्रदूषित’ हो गई है।
केजरीवाल ने श्रमिकों का फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर हजारों करोड़ रुपए का घोटाला किया है।
2018 से 2021 के बीच 9 लाख से अधिक कंस्ट्रक्शन वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन कराया है।
इनमें से अब तक करीब 2 लाख फर्जी रजिस्ट्रेशन का मामला सामने आया है।
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— BJP (@BJP4India) November 4, 2022
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे निर्माण श्रमिकों से संबंधित भारत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला बताया। उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों के लिए काम करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने फर्जीवाड़े के माध्यम से उनके पंजीकरण में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया। भाजपा के इन आरोपों पर आप की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की गई।
राहुल गांधी आलू से सोना बना रहे थे और केजरीवाल जी पराली से सोना बना रहे हैं।
केजरीवाल जी कहते हैं कि पराली से गत्ता बनता है, बिजली बनती है।
इसके लिए पंजाब में रेडिमेड फैक्ट्री तैयार है।
केजरीवाल के पास केवल पॉल्यूशन है, सॉल्यूशन नहीं है।
– डॉ. @sambitswaraj pic.twitter.com/PX0azlzJkg
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दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के तहत दिल्ली भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड मुख्य रूप से निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण और इसकी कल्याणकारी पहल के लिए जिम्मेदार है। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ‘‘फर्जी’’ निर्माण श्रमिकों के लिए 3,000 करोड़ रुपये जारी किए। पात्रा ने कहा, ‘‘मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में गठित बोर्ड के पास इस साल के लिए कॉर्पस फंड के रूप में 3,000 करोड़ रुपये हैं। दुख की बात है कि इस मोटी रकम को घोटाले में डूबी फर्जी संस्थाओं के बीच बांट दिया जाएगा।’’
संबंधित आंकड़ों का ब्योरा देते हुए पात्रा ने कहा कि 2006 से 2021 के बीच दिल्ली सरकार के श्रम विभाग के तहत 13 लाख से अधिक निर्माण श्रमिक पंजीकृत थे। इनमें से 9 लाख से अधिक 2018 से 2021 के बीच पंजीकृत किए गए थे। उन्होंने दावा किया, ‘‘दिल्ली में निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण के लिए बोर्ड जिम्मेदार है। पंजीकरण का काम 2006 में शुरु हुआ और अब तक 13,13,039 पंजीकरण हो चुके हैं। 2006 के बाद से, 13 लाख से अधिक पंजीकृत किए गए हैं, लेकिन जब से आप सत्ता में आई है, 2018 और 2021 के बीच, लगभग 10 लाख निर्माण श्रमिक पंजीकृत किए गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि जांच में दिल्ली में दो लाख फर्जी पंजीकरण का खुलासा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि 65,000 श्रमिकों के पास एक ही मोबाइल नंबर था, जबकि 15,700 के पास दिल्ली में एक ही आवासीय पता था और शेष 4,370 का एक ही स्थायी पता था। उन्होंने कहा कि हालांकि, एक ही अस्थायी या स्थायी पते को साझा करने वाला इनमें से कोई भी श्रमिक एक-दूसरे से जुड़ा नहीं है।