तिब्बत पर चीन की दबंगई, कहा- दलाई लामा के उत्तराधिकारी को सरकार की मान्यता मिलनी जरूरी

बीजिंग, पीटीआइ। चीन ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा दलाई लामा के किसी न किसी उत्तराधिकारी को मंजूरी मिलनी चाहिए। सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक दस्तावेज में चीन (China) ने साफ शब्दों में कहा है कि अगला जो भी दलाई लामा का उत्तराधिकारी होगा वह उसकी मर्जी से चुना जाएगा। चीन ने कहा कि यदि दलाई लामा खुद अपना कोई उत्तराधिकारी चुनते हैं या उनके अनुयायी किसी को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर नामित करते हैं तो वह उसको मान्यता नहीं देगा।
चीनी सरकार की ओर से जारी आधिकारिक श्वेत पत्र में दावा किया गया है कि दलाई लामा एवं अन्य जीवित बुद्ध विभूतियों के पुनर्जन्म के अनुमोदन को किंग राजवंश (1644-1911) के समय से ही सरकार स्वीकृति देती आई है। चीन की शी चिनफिंग सरकार का कहना है कि यह मसला किंग राजवंश के बाद सरकार के अधीन रहा है। सरकार की ओर से जारी दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि तिब्बत प्राचीन समय से कथित तौर पर चीन का अविभाज्य अंग रहा है।
दस्तावेज में गोरखा लोगों को घुसपैठिया (Invaders) कहा गया है। चीन ने कहा है कि साल 1793 से गोरखा आक्रमणकारियों (Gurkha invaders) को खदेड़े जाने के बाद किंग सरकार ने तिब्बत में दलाई लामा के उत्तराधिकारी के संबंध में एक व्यवस्था बहाल की और तिब्बत के शासन के लिए शाही अध्यादेश जारी किया। चीन ने अपने तथाकथित आधिकारिक श्वेत पत्र को ‘1951 से तिब्बत : स्वतंत्रता, विकास और समृद्धि’ (‘Tibet Since 1951: Liberation, Development and Prosperity) नाम रखा है।