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इंदौर के तर्ज पर उत्तर प्रदेश के शहर बनेंगे स्वच्छ, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिया निर्देश

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप प्रदेश के प्रत्येक शहर, गांव और कस्बे को स्वच्छ और व्यवस्थित बनाने में जुटी है। इस कड़ी में प्रदेश के आला अधिकारी दूसरे राज्यों के उन शहरों का गहन निरीक्षण कर रहे हैं, जो स्वच्छता रैंकिंग में लगातार टॉप पर बने हुए हैं। खासकर मध्य प्रदेश का इंदौर शहर, जो स्वच्छता के मामले में लगातार शीर्ष पर रहा है।

इंदौर (Indore)  के मॉडल को यूपी के शहरों पर कैसे लागू किया जाए, कूड़े का निस्तारीकरण कैसे हो, पर्यावरण को कैसे बचाया जाए समेत तमाम चीजों को जानने के लिए उत्तर प्रदेश के नगरीय निकायों की एक टीम ने बीते शनिवार और रविवार को इंदौर के स्वच्छता मॉडल का अवलोकन किया। इस दौरान टीम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थित एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट का भी अवलोकन किया। स्वयं मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने भी इंदौर जाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थित बायो सीएनजी प्लांट को देखा है। माना जा रहा है कि इंदौर की तर्ज पर ही जल्द उत्तर प्रदेश के शहरों को भी संवारा जाएगा और प्रदेश को स्वच्छ बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा, ताकि स्वच्छता रैंकिंग में उत्तर प्रदेश के शहरों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सके।

सफाई व्यवस्था के निरीक्षण पर रहा फोकस

इंदौर (Indore)  में उत्तर प्रदेश के नगरीय निकायों का दल दो दिवसीय दौरे पर सफाई व्यवस्था के साथ बायो सीएनजी प्लांट को देखने के लिए गया था। उत्तर प्रदेश के स्वच्छ भारत मिशन की निदेशक नेहा शर्मा सहित मथुरा-वृंदावन, झांसी, अलीगढ़, सहारनपुर, बरेली, फर्रुखाबाद, कुशीनगर, इकदिल नगर, मुरादाबाद, गोरखपुर के नगरीय निकायों के 13 प्रतिनिधि इस टीम में शामिल रहे। बीते शनिवार को इस टीम ने बायो सीएनजी प्लांट का अवलोकन किया। वहीं, रविवार को टीम के सदस्यों ने निगम की वर्कशाप व सिटी बस ऑफिस में कंट्रोल कमांड सेंटर देखा। सिटी बस आफिस में निगम के अफसरों ने प्रजेंटेशन के माध्यम से उन्हें विगत छह साल में सफाई के लिए किए कार्यों के बारे में बताया।

उत्तर प्रदेश के अफसरों ने इंदौर निगम के अफसरों से पूछा कि उन्होंने इंदौर शहर में स्पाट फाइन व कचरा संग्रहण शुल्क को कैसे वसूला। निगम के अफसरों ने उन्हें बताया कि हमने पहले शहर में कचरा संग्रहण शुल्क तय किया। इसके पहले डोर टू डोर कचरा संग्रहण वाहन वार्ड में समय पर पहुंचे, यह सुनिश्चित किया। अफसरों ने पूछा कि यदि कोई स्पाट फाइन न दे तो क्या होगा। निगम के अफसरों ने बताया कि लगातार गलती करने पर निगम संबंधित के भवन निर्माण की नपती कर उस पर कार्रवाई करता है।

मुख्य सचिव ने भी समझी प्लांट की कार्यप्रणाली

दूसरी तरफ, मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने भी रविवार को ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थित बायो सीएनजी प्लांट का अवलोकन किया। प्लांट में दो घंटे रुककर उन्होंने यहां की कार्यप्रणाली को समझा। उत्तर प्रदेश के शहरों में नगर निकायों के माध्यम से 300 से 400 टन गीले कचरे से बायो सीएनजी वाले प्लांट तैयार किए जाने की योजना है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर इंदौर की निगमायुक्त प्रतिभा पाल व प्लांट संचालन कंपनी इंदौर क्लीन एनर्जी के संचालक दीपक अग्रवाल ने उनसे मुलाकात की। बैठक में उन्होंने प्रजेंटेशन भी दिया। इसमें उन्हें बताया गया कि इंदौर में 500 टन गीले कचरे से 17 हजार किलो बायो सीएनजी तैयार करने वाला प्लांट लगाया गया है। इसके निर्माण की लागत पांच साल में ही निकल जाएगी। इस दौरान मुख्य सचिव राजवाड़ा के पास स्थित गोपाल मंदिर भी गए। यहां पर उन्हें बताया गया कि किस तरह स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। मुख्य सचिव के साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के चेयरपर्सन आदर्श गोयल व अन्य दो सदस्यों ने भी बायो सीएनजी प्लांट का अवलोकन किया।