डिफेंस एक्सपो में रक्षा मंत्री का निवेशकों से अपील, कहा- बिना झिझक संपर्क करें
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में चल रहे डिफेंस एक्सपो-2022 के तहत ‘‘रक्षा के लिए निवेश’’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने निवेशकों से अपील की कि वे मुद्दों के समाधान के लिए बिना किसी झिझक के उनसे या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क करें। रक्षामंत्री ने निजी क्षेत्र के निवेशकों से अपील की कि वे आगे आएं और भारतीय रक्षा उद्योग में निवेश करें क्योंकि यह इस समय अहम मुकाम पर है।
गुजरात: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गांधीनगर में चल रहे डिफेंस एक्सपो में लगे हथियारों की प्रदर्शनी का दौरा किया। #DefExpo2022 pic.twitter.com/Lfuub86NRO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 20, 2022
उन्होंने कहा कि बड़े उद्योग ही नहीं, स्टार्ट अप और एमएसएमई भी अब रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं और रक्षा क्षेत्र के लिए यह ‘स्वर्णिम काल’ है। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘ भारतीय रक्षा उद्योग भविष्य का उभरता क्षेत्र है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन को वर्ष 2025 तक मौजूदा 12 अरब डॉलर से बढ़ाकर 22 अरब डॉलर के स्तर पर ले जाने की कोशिश कर रही है। हम इस 22 अरब डॉलर के लक्ष्य को भी पीछे छोड़ देंगे। रक्षा क्षेत्र में अवसरों की कमी नहीं है। भारत इस क्षेत्र में दुनिया की मांग पूरी करने के लिए आगे बढ़ रहा है।’’
आमतौर पर किसी राष्ट्र की ताकत के 2 प्रमुख स्तंभ होते हैं। पहला, उस राष्ट्र की GDP क्या है, यानि उसकी अर्थव्यवस्था कितनी मज़बूत है। दूसरी, उस राष्ट्र की रक्षा क्षमता कितनी है, यानी वह राष्ट्र अपने आप को सुरक्षित रख पाने में कितना समर्थ है: गांधीनगर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह pic.twitter.com/bLjZ9gqoGU
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राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्थानीय उत्पादन के लिए कई कदम उठाए हैं और सुधार किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पहले रक्षा मंत्रालय के दरवाजे निजी क्षेत्र के लिए बंद रहते थे। रक्षा मंत्री और मंत्रालय के अधिकारी निवेशकों से मुलाकात करने से बचते थे क्योंकि वे मानते थे कि कोई उनपर उंगली उठा सकता है। लेकिन हम उसकी चिंता नहीं करते और हमारे दरवाजे आपके लिए खुले हैं।’’
रक्षामंत्री ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश की रक्षा और आर्थिक शक्ति एक दूसरे के पूरक हैं और राष्ट्र तब ही अधिक प्रगति करेगा जब वह खतरों से सुरक्षित हो। उन्होंने कहा कि आजादी के इतने सालों के बाद भी ‘‘ भारत इस सोच से आजादी नहीं पा सका कि अगर हम सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हमें रक्षा क्षमता पर समझौता करना पड़ेगा। लेकिन अब मुझे खुशी है कि गत सालों में देश उस सोच से बाहर निकल चुका है।’’