ज्ञानवापी में मिले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग कराने की मांग, जिला कोर्ट में याचिका दाखिल
ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की जिला कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की गई है। खास बात ये है कि ये याचिका भी उन्हीं महिलाओं की ओर से दाखिल की गई है, जिन्होंने कोर्ट से श्रृंगार गौरी की पूजा की इजाजत मांगने संबंधी याचिका दाखिल की है। महिलाओं की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने जिला जज की कोर्ट में ये याचिका दाखिल की है।
ज्ञानवापी मामले में यह याचिका ऐसे वक्त पर दाखिल की गई है। जब महिलाओं की श्रृंगार गौरी की पूजा मांगने वाली याचिका पर जिला कोर्ट में गुरुवार से सुनवाई शुरू होनी है। इससे पहले जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने 12 सितंबर को बड़ा फैसला सुनाते हुए श्रृंगार गौरी में पूजा के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को सुनवाई के योग्य माना था।
अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी। इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला। जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है। इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी। सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई थी जिला कोर्ट में सुनवाई
SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। उपासना स्थल कानून 1991 के तहत धार्मिक स्थलों की 1947 के बाद की स्थिति बरकरार रखने का प्रावधान है।