धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में धातु और खनन क्षेत्र अहम भूमिका निभा सकते हैं
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि धातु और खनन क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत केनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । 58 वें राष्ट्रीयधातुविज्ञान दिवस और भारतीय धातु संस्थान (आईआईएम) की 74 वीं वार्षिकतकनीकी बैठक में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह एक जीवंत और बढ़ता हुआक्षेत्र है एवं यह न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भीविकास की अपार संभावनाओं और वायदा है।
आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका मतलब एक अलग थलग भारत का न होना है। आत्मनिर्भर भारत भव्य, जीवंत भारत की परिकल्पना करता है जो न केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता है बल्कि वसुधैव कुटुम्बुकम की सच्ची भावना से वैश्विक समुदाय की अपेक्षाओं को भी पूरा करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के मंदिर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धन रचनाकारों के महत्व के बारे में बातकी। “यदि उद्योग, सरकार और शिक्षा जगत सभी हमारे समाज और राष्ट्र की बेहतरी के लिए मिलकर काम करें तो हम निश्चित रूप से एक आत्मनिर्भर भारत कीदृष्टि को साकार कर सकते हैं।”
प्रधान ने कहा कि सरकार द्वारा स्पेशियलिटी स्टील के लिएप्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम (पीएलआई) की घोषणा की गई है और स्वदेशी उत्पादन कोबढ़ावा देने के लिए यह इस क्षेत्र में एक बड़ा सुधार है । उद्योग जगत कोइस पथ प्रवर्तक पहल का पूरा लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करते हुए मंत्री ने देश में एक नया विनिर्माण पारितंत्र विकसित करने का आह्वान किया ।
उन्होंने कहा कि देश खनिज संसाधनों से भरपूर है । उन्होंने कहा कि सरकार का साफ कहना है कि देश के प्राकृतिक संसाधन उसके नागरिकों केहैं । “इस प्रकार हमने प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन के लिए एक पारदर्शी व जवाबदेह तंत्र अपनाया।
प्रधान ने कहा कि कोविड-19 महामारी से बाहर आते हुए हमधीरे-धीरे अधिक आशाजनक समय की ओर बढ़ रहे हैं । बीता साल हमारे दृढ़ निश्चयऔर देश सामूहिक प्रयासों से क्या कर सकता है इसकी परीक्षा थी । उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने और गरीबों के कल्याण को सुनिश्चित करने का ध्यान रखा जाता है, प्रधानमंत्री ने एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का आह्वान किया।
बजट 2021 को पथ प्रवर्तक, प्रगतिशील और विकास के लिए सहायकबताते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह भविष्य के लिए बुनियादीढांचे के निर्माण पर अभूतपूर्व ध्यान देता है। उन्होंने कहा कि इससेनिश्चित रूप से स्टील की मांग बढ़ेगी । रेलवे, रोडवेज तथा पेट्रोलियम एवंप्राकृतिक गैस जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश, जिनमें धातुओं की मांग को प्रेरित करने की क्षमता है, ने हर ओर एक स्वस्थ वृद्धि देखी है।
मंत्री ने कहा कि उन्नत स्टील्स और अलॉय के क्षेत्रों में बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी विकसित करने की जरूरत है, ताकि महत्वपूर्ण आवश्यकताएं स्वदेश में पूरी हों और निर्यात में हमारे भविष्य का विस्तार हो। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकियों के सृजन में अनुसंधानएवं विकास प्रतिष्ठानों और अकादमिक संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है। “हम धातुकर्म, इंजीनियरिंग और इस्पात क्षेत्र के लिए मानव संसाधन के विकासके लिए विश्व स्तरीय सुविधा बनाने के लिए भी काम कर रहे हैं। आईआईटी मेंउत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दे दी गई है। लौह और इस्पातक्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व की संयुक्त सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं कोबढ़ावा देने के लिए भारत के इस्पात अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मिशन कीस्थापना की गई है।”
भारतीय धातु संस्थान (आईआईएम) को प्लेटिनम जुबली के लिए बधाई देते हुए मंत्री ने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत की आजादी से पहले 1946 में स्थापित एक संस्था आज भी फल-फूल रही है और देश के विकास में योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि उद्योग, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास के तीन स्तंभों के बीच सहयोग, साझेदारी और तालमेल की उत्कृष्ट भावना पैदा करके आईआईएम ने धातुविज्ञान के क्षेत्र में भारत की यात्रा में महत्वपूर्णभूमिका निभाई है और राष्ट्र निर्माण में काफी योगदान दिया है। उन्होंने आईआईएम से तकनीकी कौशल विकसित करने, नवाचार लाने, इस्पात उद्योग में कुशल जनशक्ति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया।उन्होंने “आत्मनिर्भर भारत” में योगदान बढ़ाने के लिए स्वदेशीकरण और नवाचार के लिए मौजूदा रणनीति को बढ़ाने का आग्रह किया।