मंच से गिरे हैं, हौसले से नहीं- हँसिए मत

जब किसान आंदोलन सुस्ता रहा था, लोग मायूस होकर घर लौट रहे थे, फिर किसान नेता राकेश टिकैत के आँखों से कुछ पानी जैसा गिरा। और इस आंदोलन को संजीवनी मिल गई। हम यह सब इसलिए बता रहें है कि अबकी बार आंसू की जगह खुद राकेश टिकैत मंच से गिर गए है। नए कृषि कानून का समर्थन कर रहे है, लोग खिल्लिया उड़ा रहे है। हम भारतीय के लिए यह नई बात नहीं है नेता भी कई बार गिर जाते है, पूरी की पूरी सरकारें गिर जाती है। इसलिए किसी के गिरने पर हँसिए नहीं…