वन अधिकारियों को बेजुबानों की आवाज बनने और देश के विशाल प्राकृतिक संसाधनों के मालिक नहीं बल्कि न्यासी के रूप में कार्य करने की जरूरत है: भूपेंद्र यादव
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि वन अधिकारियों को बेजुबानों की आवाज के रूप में एक ऐसे दृष्टिकोण के साथ काम करने की जरूरत है, जोकि स्थानीय समुदाय की आकांक्षाओं और जरूरतों के प्रति पूरी तरह से मानवीय और संवेदनशील हो।
केन्द्रीय मंत्री वर्चुअल माध्यम से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में प्रशिक्षित किए जा रहे भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 2020 बैच के 64 परिवीक्षाधीन प्रशिक्षुओं को संबोधित कर रहे थे।
युवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए, यादव ने कहा कि वर्तमान राष्ट्रीय नेतृत्व के तहत देश विकास के सभी मोर्चों पर परिवर्तनकारी प्रगति करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण, प्रदूषण एवं जैव विविधता संबंधी हानि जैसी विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों और संकटों से निपटने के लिए तत्पर है। और इसलिए, वर्तमान युग में सतत विकास को आगे बढ़ाने और उसके कार्यान्वन में इन अधिकारियों की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कार्बन पृथक्करण, शून्य-कार्बन उत्सर्जन डेटलाइन, ऊर्जा मिश्रण में सौर ऊर्जा और पर्यावरण के अनुकूल अन्य कारगर स्रोतों के अनुपात, जैव विविधता का संरक्षण, मरुस्थलीकरण की समस्या से निपटने और क्षरित भूमि के जीर्णोद्धार आदि से जुड़ी प्रतिबद्धताओं एवं लक्ष्यों पर प्रकाश डाला और अधिकारियों से इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रचनात्मक एवं नवीन विचारों के साथ आगे आने के लिए कहा।
उन्होंने इस बात को दोहराया कि सरकारी प्रणाली के एक सशक्त, सक्षम और सक्षम कार्यबल के रूप में युवा आईएफएस अधिकारियों को अपने क्षेत्राधिकार वाले वन क्षेत्र में रहने वाले समुदायों तथा अन्य नागरिकों के प्रति भी सक्रिय रूप से समुदाय-केंद्रित/नागरिकों की ओर उन्मुख एवं सहयोगी दृष्टिकोण के साथ व्यवहार करना चाहिए।
परिवीक्षाधीन अधिकारियों को राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वन भूमि में रहने वाले समुदायों एवं अन्य लोगों के साथ काम करने के कई क्षेत्र हैं, जहां एक सहानुभूतिपूर्ण, उत्तरदायी, सहयोगी दृष्टिकोण आचरण और कर्तव्यों के निर्वहन का मुख्य आधार होना चाहिए और इस पूरी प्रक्रिया में मानवीय दृष्टिकोण के साथ-साथ अत्यधिक ईमानदारी एवं नागरिक – केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाने की जरूरत है।