समुद्र में तैरता हुआ किला है “आईएनएस विक्रांत”, जानिए क्यों डरे हैं पाकिस्तान और चीन?
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना को आईएनएस विक्रांत सौंप दिया है। भारत के पास अब दो विमान वाहक जहाज हो गया है। इस जहाज को बनाने में 13 वर्ष लगे हैं। सबसे अहम बात यह है कि इस युद्धपोत को बनाने में 76% स्वदेशी सामान का उपयोग किया गया है। आईएनएस विक्रांत को आधिकारिक रूप से नौसेना को सौपते ही सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे। लेकिन आख़िर क्यों आईएनएस विक्रांत की इतनी चर्चा हो रही है? भारत के लिए क्यों विक्रांत इतना अहम माना जा रहा है?
क्या होता है एयरक्राफ्ट कैरियर या विमानवाहक पोत?
एयर क्राफ्ट कैरियर या विमान वाहक युद्धपोत एकतरह से एयरक्राफ्ट का बेड़ा खड़ा करने वाला स्थान होता है। समुद्र में फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर को इस युद्धपोत पर उतारा जा सकता है। फियूलिंग, मेंटिनेंस सहित सभी प्रकार की टेक्निकल सुविधा विमानवाहक युद्धपोत पर उपलब्ध होता है। इसके अलावा इसमें एयरक्राफ्ट को रख रखाव, हथियारों से सुसज्जित करना, एयरक्राफ्ट को आराम देने जैसी सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा विमानवाहक पोत में लोगों के आराम करने, खाना खाने, आधुनिक हॉस्पिटल समेत सभी तरह की खास सुविधा प्राप्त होती है। विमानवाहक पोत का युद्ध में बहुत जरूरत का सामान है। युद्ध के दौरान किसी भी प्रकार रुकावट के बिना एयरक्राफ्ट अपना काम कर सकती है। भारत के अलावा कुछ अन्य देशों के पास विमानवाहक पोत उपलब्ध है, जिसमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके जैसे देश हैं।
आईएनएस विक्रांत में क्या है खासियत?
आईएनएस विक्रांत को बनाने में तकरीबन 20 हज़ार करोड़ रुपये खर्च आया है। इसकी ऊँचाई 61.6 मीटर है, जो 15 मंजिल इमारत के ऊँचाई के बराबर है। इसकी लंबाई 262.5 मीटर है। वही जिस स्थान पर हवाईपट्टी बनाई गई है, उसकी लंबाई 12,500 स्क्वायर मीटर है। इस जहाज में क्रू मेंबर्स की संख्या 1700 है। वहीं एक बार 600 लोगों के खाने का व्यवस्था किया गया है। जितना एक शहर का पावरसप्लाय, उतनी ही इस जहाज की है। कुल मिला कर 53 एकड़ में फैला यह जहाज एक तैरता एयरबेस है, जँहा हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है, जो जमीन पर होती है।
भारत के लिए विक्रांत क्यों है अहम?
पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से निबटने के लिए आईएनएस विक्रांत जैसा विमानवाहक पोत बहुत आवश्यक है। आईएनएस विक्रांत का नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ चुकी है। भारत की तटीय क्षेत्र बहुत लंबा चौड़ा है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे देशों के साथ भारत का तटीय क्षेत्र लगता है। आईएनएस विक्रांत के आने के बाद अब निगरानी करने में बहुत आसानी होगी। इसके साथ ही ड्रैगन अपना प्रभाव हिन्द महासागर में बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है। लगातार वो अपने बेड़े में फिग्रेट और डिस्ट्रॉयर की संख्या में इजाफा कर रहा है। वहीं चीन के पास वर्तमान में तीन विमानवाहक पोत है। हालांकि भारत के पास आईएनएस विक्रांत के अलावा आईएनएस विक्रमादित्य भी है लेकिन विक्रमादित्य अभी मरम्मत से गुजर रहा है। अब जब आईएनएस विक्रांत समुद्र में उतर चुका है तो चीन की मनमानी भारत नहीं चलने देगा।