बिहार में नहीं होंगे पंचायत चुनाव और न ही बढ़ेंगे प्रतिनिधियों के कार्यकाल, सरकार ने निकाला बीच का रास्ता
बिहार में कोरोना के पीक पर विधानसभा चुनाव करा लिए गए थे। हाल ही में कई राज्यों /यूटी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव समाप्त हुए हैं। जब कोरोना पीक पर था। लेकिन बिहार में पंचायत चुनाव कराने को लेकर जारी सस्पेंस पर राज्य सरकार का निर्णय आ गया है। बिहार सरकार ने कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पंचायत चुनाव को टाल दिया है। नीतीश कैबिनेट की मंगलवार को बैठक हुई। बैठक में बिहार में फिलहाल होने वाले पंचायत चुनाव को कराने का फैसला लिया गया। साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल में विस्तार नहीं करने का भी निर्णय लिया गया है। चुनाव कराने और मुखियाओं के कार्यालय बढ़ाने को लेकर चल रहे जारी कशमकश के बीच सरकार ने बीच का रास्ता निकालने का फैसला किया है।
बता दें कि राज्य में 15 जून को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में बिहार कैबिनेट की बैठक के बाद पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि “पंचायतों में परामर्शी समिति की नियुक्ति होगी। उन्होंने बताया कि नीतीश सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन किया है। अधिनियम की धारा 14, 39, 66 और 92 में संशोधन किया गया है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “इस स्थिति में नया अध्यादेश लाकर वर्तमान जनप्रतिनिधियों को शक्ति देने की योजना है। ऐसी चर्चा है कि परामर्श समिति में अफसर और वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। पंचायती राज मंत्री ने कहा कि बिहार लोकतांत्रिक प्रदेश है और जो भी फैसला लिया जाएगा उसमें लोकतंत्र ही झुकेगा। इसमें कोई दो राय नहीं है।”
बिहार कैबिनेट के इस फैसले का बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ” समय पर पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण पंचायतों में परामर्श समिति का गठन करने जैसे कैबिनेट फैसले लेने के लिए नीतीश कुमार को धन्यवाद। परामर्श समितियों में वर्तमान पंचायत सदस्यों के साथ-साथ विधायक प्रतिनिधि भी शामिल होंगें जिससे गांवों का विकास बाधित नहीं होगा। लोकतंत्र की जय “