राजपथ अब कहलाएगा कर्तव्य पथ, तीन बार बदले गए नाम, जानिए 100 साल पुराना इतिहास
दिल्ली का राजपथ आज के बाद इतिहास बन जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार की शाम सात बजे ‘राजपथ’ के पुनर्विकसित स्वरूप ‘कर्तव्यपथ’ का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण भी होगा।
राजपथ का नाम बदलने के साथ ही इसके इतिहास को लेकर भी चर्चा हो रही है। तो आइए एक बार राजपथ के अतीत के पन्नों पर नजर डालें जिसकी भव्यता और सुंदरता हमें गणतंत्र दिवस की परेड पर हर साल देखने को मिलती रही है।
ब्रिटिश शासन में पड़ी दिल्ली की नींव
12 दिसंबर, 1911 को ब्रिटिश शासन काल में दिल्ली दरबार के दौरान किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की। 15 दिसंबर को जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी ने दरबार ग्राउंड्स (कोरोनेशन पार्क) में नई राजधानी की आधारशिला रखी।
प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लुट्यन्स और सर हर्बर्ट बेकर ने इसकी रूपरेखा तैयार की। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्धघाटन हुआ। 1911 में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद रायसीना हिल्स पर नये प्रशासनिक भवन बनाए गए। रायसीना हिल्स को सत्ता के नए केंद्र के तौर पर विकसित किया गया। रायसीना हिल्स पर राष्ट्रपति भवन का निर्माण कार्य किया गया। 23 जनवरी 1931 को पहली बार वॉयसरॉय ऑफ इंडिया लॉर्ड इरविन यहां रहने आये।
1950 के पहले तक राष्ट्रपति भवन को वॉयसरॉय हाउस कहा जाता था और इस इलाके का नाम लुटियंस था। आजादी के बाद इसे राष्ट्रपति भवन कहा जाने लगा। यहां पर राष्ट्रपति आवास और कार्यालय दोनों स्थित हैं। इसके चारों दिशाओं में संसद भवन, इंडिया गेट, विजय चौक और राजपथ स्थित है।
राजपथ के नाम में पहले भी हुए बदलाव
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक जाने वाली मार्ग को राजपथ कहा जाता है। इस सड़क का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल में किया गया था। राजपथ को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था। राजपथ को पहले किंग्स वे कहा जाता था, क्योंकि जॉर्ज पंचम के सम्मान में इसे यह नाम दिया गया था। सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज के इतिहास के प्रोफ़ेसर पर्सिवल स्पियर की सलाह पर किंग्स वे का नामकरण हुआ था। आजादी के बाद किंग्स वे का नाम बदलकर बाद में राजपथ कर दिया गया।