राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय बोले- अयोध्या में एक महीने चलेगा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर दिसम्बर 2023 में बनने के बाद 14/15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होंगे। वैदिक आचार्य गण शुभ मुहूर्त निर्धारित करेंगे। इस निर्धारित मुहूर्त पर भगवान की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू होगा। ट्रस्ट महासचिव ने यह भी बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान को पूर्ण होने में करीब एक माह का समय लगेगा। पुन: अनुष्ठान की पूर्णाहुति रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से होगी। इसलिए यह कहना कि मकर संक्रांति पर रामलला की प्रतिष्ठा हो जाएगी, जल्दबाजी होगी।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक के बाद मंदिर निर्माण समिति की भी बैठक हुई। मंदिर निर्माण समिति की बैठक के बाद ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने दावा किया कि दिसंबर 2023 के अंत तक राम मंदिर का गर्भगृह ही नहीं बल्कि भूतल का पश्चिम से पूरब तक सम्पूर्ण निर्माण हो जाएगा। राम मंदिर के परकोटे में प्रस्तावित छह मंदिरों की ऊंचाई भी तय कर ली गई है।
उन्होंने कहा कि यह दावा उन एजेंसियों के आत्मविश्वास के आधार पर किया जा रहा है, जो कि निर्माण कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्धारण से पहले एजेंसियों से इस बात की तस्दीक की जाती है कि वह अधिकतम कितने घंटे कितने श्रमिकों के जरिए कितना काम पूरा कर सकते हैं।
यह भी सम्बन्धित काम के लिए जरुरी संसाधन और मैटेरियल है अथवा नहीं है। इतना ही नहीं मैटेरियल की आपूर्ति के बाद उसकी स्थापना पर भी जानकारी ली जाती है। इन एजेंसियों के भरोसे और बीते दो साल से चल रहे काम की गति को ध्यान में रखकर ट्रस्ट को यह भरोसा है कि निर्धारित समय से पहले काम हो जाएगा।
ट्रस्ट महासचिव का कहना है कि राम मंदिर का परकोटा एक किमी. की परिधि में होगा। इस परकोटे में भगवान राम के जीवन से महत्वपूर्ण पात्रों यथा महर्षि वाल्मीकि, निषादराज, जटायु राज, माता शबरी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र एवं अगस्त ऋषि के मंदिर का निर्माण प्रस्तावित किया गया है।
इन मंदिरों के शिखर की ऊंचाई का निर्धारण कर दिया गया है क्योंकि मूल मंदिर के शिखर से इनकी ऊंचाई कम होगी। उन्होंने बताया कि इस बात पर मंथन हो रहा है कि मंदिर की रेलिंग धातु की हो अथवा पाषाण खंड की। उन्होंने बताया कि धातुओं का प्रयोग कम से कम करने पर भी विचार हो रहा है।