आरबीआई ने लोन देने की प्रक्रिया पर जारी किए नए दिशानिर्देश, ग्राहकों को मिलेंगे यह फायदे
शुक्रवार को आरबीआई (Reserve Bank of India)ने डिजिटल लोन के वितरण को लेकर नए दिशा निर्देश दिए हैं। रिज़र्व बैंक ने लोन देने वाली संस्थाओं को 30 नवंबर तक पूरी प्रक्रिया को स्थापित करने का समय दिया है। इसके ज़रिए से यह पता लगाया जा सकेगा कि वर्तमान समय में डिजिटल लोन देने वाली संस्थाएं और लोन धारक नई गाइडलाइनों का पालन कर रहे हैं या नहीं। यह नए नियम नए ग्राहकों और वर्तमान ग्राहकों से लिए जाने वाले लोन पर लगाए जाएंगे।
आरबीआई ने बताया कि डिजिटल लोन वितरण ऐप (Loan App) या उधार देने वाले सेवा प्रदाता (Lending Service Provider) के लिए विनियमित संस्थाओं की तरफ की गई आउटसोर्सिंग व्यवस्था उनके दायित्व को कम नहीं कर सकती है और इन्हें हर हाल में जारी किए गए दिशा-निर्देशों पालन करना अनिवार्य होगा।
वहीं, आरबीआई के द्वारा पिछले महीने की गई वर्किंग ग्रुप की सिफरिशों के बाद डिजिटल लोन के मामले को लेकर दिशा-निर्देशों (Guidlines) को जारी करी गई थीं। गाइडलाइंस के अनुसार, सभी प्रकार के लोन का वितरण व पुर्नभुगतान को बैंक और उधारकर्ता के बीच ही करना पड़ेगा। इसमें कोई भी तीसरी पार्टी जैसे आरई और एलपीएस की किसी प्रकार की भूमिका नहीं होगी। इसके साथ ही बिना ग्राहकों की सहमति के बैंक में क्रेडिट लिमिट को ऑटोमैटिक बढ़ाने पर भी रोक लगा दी जा चुकी है।
दिशा-निर्देश जारी करने के पीछे यह हैं कारण
केंद्रीय बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों के अनुसार “कोई फीस, चार्ज अगर एलपीएस को दिया जाता है तो वह आरई के द्वारा वहन किया जाएगा न कि उधारकर्ता की ओर से दिया जाएगा”। आरबीआई ने यह नई गाइडलाइन डिजिटल लेंडिंग पर मुख्य रूप से तीसरे पक्ष के बीच में पड़ने (अनियंत्रित जुड़ाव), गलत बिक्री, डेटा की गोपनीयता के उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक चलन, ब्याज दरों पर शुल्क लगाने और गलत तरिके से वसूली करने जैसी संबंधित चिंताओं के बाद जारी की है।