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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पीएम मोदी को SIT के द्वारा मिली क्लीन चिट रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका

शुक्रवार को साल 2002 में हुए गुजरात दंगों को लेकर राज्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया जाफरी की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई में कोर्ट ने SIT की रिपोर्ट को सही ठहराया। जाकिया जाफरी को झटका देते हुए सुप्रिम कोर्ट ने उनके द्वारा दायर की गई याचिको को खारिज कर दिया। सुनावाई में कोर्ट ने राज्य के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को SIT की तरफ से मिली क्लीन चिट को सही बताया।

दरअसल, 2002 मे गुजरात के गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी हत्याकांड में मारे गए कांग्रेस विधायक एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देते हुए 2014 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

याचिका दायर करने वाली जकिया जाफरी ने बताया कि उनके पति एहसान जाफरी की इन दंगों में मौत हुई थी। जकिया जाफरी पूर्व कांग्रेस नेता और सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं। इन दंगो के दौरान 72 साल के एहसान जाफरी को गुस्साई भीड़ ने उत्तरी अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में स्थित उनके घर से निकालकर मार डाला था।

जकिया के द्वारा दाखिल की गई याचिका में SIT की रिपोर्ट को लेकर कोर्ट के द्वारा पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री समेत कई बड़े अधिकारियों को क्लीन चिट मिलने पर चुनौती दी गई है। जाकिया जाफरी ने SIT पर आरोपियों के साथ मिलीभगत होने आरोप लगाया था। जकिया जाफरी ने इस मामले में फिर से जांच की मांग की थी।

इस पर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि “सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई एसआईटी के लिए मिलीभगत एक कठोर शब्द है। ये वही एसआईटी है, जिसने अन्य मामलों में चार्जशीट दाखिल की थी और आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। उन कार्यवाही में ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली”।

वहीं, जाकिया जाफरी के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि “जब एसआईटी की बात आती है तो आरोपी के साथ मिलीभगत के स्पष्ट सबूत मिलते हैं। राजनीतिक वर्ग भी सहयोगी बन गया है। एसआईटी ने मुख्य दस्तावेजों की जांच नहीं की”।

कोर्ट ने फैसला रख लिया था सुरक्षित
इस याचिका वाले मामले में नौ दिसंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन आज जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है।

यह है पूरा मामला

27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगाने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। इस गोधका कांड में 59 लोग जिंदा जल गए थे। ये लोग अयोध्या से कारसेवा कर वापिस लौट रहे थे। गोधरा कांड के 2 दिन बाद उपद्रवियों ने अहमदाबाद में अल्पसंख्यक समुदाय की गुलबर्गा सोसायटी को निशाना बनाया था। इसमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे। इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे। जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया।
इस दौरान राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। दंगों के दस साल बाद 2012 में एसआईटी ने जांच रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को क्लीन चिट मिल गई थी। लेकिन, बाद में जकिया जाफरी ने 2014 याचिका दायर की थी और इसी रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी। साथ ही याचिका में दंगों को लेकर बड़ी साजिश की जांच की मांग की गई थी, जिसे अब कोर्ट ने खारिज कर दिया है।