कार्तिक सिंह के इस्तीफे के बाद सुशील मोदी का तंज, कहा- अभी और विकेट गिरना बांकी
बिहार सरकार में लगातार राजनीतिक घटनाक्रम बदलते नज़र आ रहा है। विवादों में घिरे कार्तिक सिंह से बुधवार को कानून मंत्री वापस ले लिया गया था और उन्हें गन्ना उद्योग मंत्रालय का जिम्मेदारी दे दिया गया था। लेकिन शाम होते होते कार्तिक सिंह ने गन्ना उद्योग मंत्रालय से खुद इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भाजपा लगातार सरकार पर हमलावर नज़र आ रही है।
Bihar Revenue Minister Alok Kumar Mehta given additional charge for the Sugarcane Industry Ministry. pic.twitter.com/j0Ptx5Znf5
— ANI (@ANI) August 31, 2022
अभी कई और विकेट गिरेंगे: मोदी
कार्तिक सिंह के इस्तीफा देने के बाद भाजपा के राज्यसभा सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, “कार्तिक कुमार को कल देर रात इस्तीफा देना पड़ा। ये वही कार्तिक हैं जिन पर हत्या की नीयत से अपहरण के मामले में गिरफ़्तारी का वारंट था आत्मसमर्पण करने के बजाय उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। यह तो पहला विकेट था ऐसे कई विकेट गिरेंगे।” इससे पूर्व बुधवार को जब कार्तिक सिंह का विभाग बदलने पर भी सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, “नीतीश जी में इतनी हिम्मत नहीं थी की वे अपहरण मामले में फ़रार कार्तिक कुमार को बर्खास्त कर पाते? केवल विभाग बदल दिया। लालू की अनुमति की बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता।”
कार्तिक कुमार को कल देर रात इस्तीफा देना पड़ा। ये वही कार्तिक हैं जिन पर हत्या की नीयत से अपहरण के मामले में गिरफ़्तारी का वारंट था आत्मसमर्पण करने के बजाय उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली। यह तो पहला विकेट था ऐसे कई विकेट गिरेंगे: भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, पटना pic.twitter.com/6fNZjGesZs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 1, 2022
बता दें, अनंत सिंह के करीबी माने जाने वाले कार्तिक सिंह को कानून मंत्री बनाया गया था। लेकिन चौतरफा विरोध के बाद उनसे कानून मंत्रालय वापस लेकर गन्ना मंत्रालय का जिम्मेदारी सौंप दिया गया था। लेकिन रात होते होते कार्तिक सिंह ने खुद ही गन्ना मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया। ग़ौरतलब है कि, कार्तिक सिंह पर अपहरण जैसे संगीन आरोप में न्यायालय में मामला चल रहा है। हालांकि इसके पूर्व भी नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में जिन पर कोई गम्भीर आरोप लगा तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा था और जब वो बरी हो गए तब उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में लिया गया था जीतन राम मांझी इसके बड़े उदाहरण हैं।