नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा अनावरण में शामिल नहीं होगा परिवार, बताई यह वजह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे हैं। खबर है क इस कार्यक्रम में नेताजी के परिवार के सदस्य शामिल नहीं हो पाएंगे। साथ ही उनकी बेटी अनीता बोस फाफ ने सरकार की चुनी हुई तारीख पर भी सवाल उठा दिए हैं। NDMC ने बुधवार को राजपथ का नाम कर्तव्यपथ करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी। इसके बाद नेताजी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक के मार्ग को कर्तव्यपथ कहा जाएगा।
Delhi | A signboard showing the way to 'Kartavya Path' has been placed at Man Singh Road
PM Narendra Modi will inaugurate 'Kartavya Path' and unveil the statue of Netaji Subhash Chandra Bose at India Gate in Delhi today. pic.twitter.com/rA5izS3pph
— ANI (@ANI) September 8, 2022
नेताजी की बेटी फाफ समेत परिवार को सदस्यों का कहना है कि प्रतिमा का अनावरण किसी भी दिन नहीं किया जा सकता। परिवार के अनुसार, 8 सितंबर को इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। हालांकि, बेटी फाफ ने जानकारी दी है कि उन्हें कार्यक्रम के लिए निमंत्रण मिला है, लेकिन इतने कम समय में जर्मनी से भारत आना मुश्किल होगा। वहीं, नेताजी बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने कहा कि परिवार के कई सदस्यों की उम्र काफी ज्यादा है। ऐसे में उन्हें कार्यक्रम से पहले जानकारी दिए जाने की जरूरत है।
चंद्र बोस ने ट्वीट किया, ‘नेताजी की प्रतिमा का अनावरण किसी भी दिन नहीं किया जा सकता। दिन उन्हें या INA को लेकर प्रासंगिक होना चाहिए। उच्च स्तरीय केंद्रीय समिति के एक सदस्य ने 21 अक्टूबर या 23 जनवरी का सुझाव दिया था।’ चंद्र बोस ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली थी।
Press Release from #AnitaBosePfaff, daughter of #NetajiSubhasChandraBose dated 7 September 2022. pic.twitter.com/P3WAUTCoFf
— Chandra Kumar Bose (@Chandrakbose) September 7, 2022
बता दें, प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, इंडिया गेट के समीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस की काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित 28 फुट ऊंची प्रतिमा इंडिया गेट के समीप एक छतरी के नीचे स्थापित की जाएगी। नेताजी की जिस भव्य प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है, उसे 280 मीट्रिक टन वजन वाले विशाल ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरा गया है। 26000 घंटे के अथक कलात्मक प्रयासों से इस अखंड ग्रेनाइट को तराश कर 65 मिट्रिक टन वजन की इस प्रतिमा को तैयार किया गया है। इस प्रतिमा को पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक औजारों का उपयोग करके पूरी तरह हाथों से बनाया गया है। अरुण योगीराज के नेतृत्व में मूर्तिकारों के एक दल ने यह प्रतिमा तैयार की है।