बिहार में जातीय जनगणना की समय सीमा बढ़ा, भाजपा ने कहा- टालने का बहाना
EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पूरे देश में जातीय जनगणना कराने की मांग की थी. तब मुख्यमंत्री ने गरीब सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा था पूरे देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए इससे जाति के आधार पर लाभ देने में सुविधा होगी. तब नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में जातीय जनगणना कराया जा रहा है. लेकिन अब बिहार में जातीय जणगणना कराने की समय सीमा बढ़ा दी गई है. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित जनगणना की अवधि को लेकर फैसला हुआ और इसे 2 महीने आगे बढ़ाकर मई 2023 तक कराने का निर्णय नीतीश कैबिनेट में लिया गया है.
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गणना टालने का बहाना खोज रही है सरकार
पहले जातीय जनगणना अगले साल यानी फरवरी 2023 तक पूरी कराने का फैसला कैबिनेट ने लिया था. जाति आधारित जनगणना की अवधि बढ़ाने पर बीजेपी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा नीतीश कुमार जातीय गणना टालने का बहाना खोज रहे हैं
जनगणना की तैयारी पूरी नहीं- सुशील मोदी
सुशील मोदी ने कहा-पहले नगर निगम चुनाव टाला गया और अब जातीय जनगणना की समय सीमा को बढ़ा दिया है. सुशील मोदी ने ट्ववीट किया-तेलंगाना सरकार ने सभी कर्मचारियों को लगाकर जातीय जनगणना का काम एक दिन में पूरा किया, लेकिन नीतीश सरकार इसे बार-बार टाल रही है. मोदी ने कहा कि जनगणना ऐप और पोर्टल बनाने के लिए परामर्शी की नियुक्ति छह माह पहले हो जानी चाहिए थी, लेकिन इसका अभी निर्णय हुआ है. जातीय जनगणना कराने के लिए कैबिनेट का फैसला 2 जून को हुआ, लेकिन अभी तक न मकानों की गिनती और नम्बरिंग हुई, न जिला और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है.