पायलट की बगावत की खबर को बताया गलत, केंद्रीय संगठन में पायलट निभा सकते हैं बड़ी जिम्मेदारी: सूत्र
कांग्रेस से पार्टी नेताओं का पलायन बदस्तूर जारी है। अभी हाल ही जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थामा है। वहीं अब राजस्थान में एक बार फिर सचिन पायलट के बगावती तेवरों की खबरें सुर्खियों में है। यहां तक कि अब सचिन पायलट के समर्थन में राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले पार्टी के अहम नेता भंवर जितेन्द्र सिंह ने भी बयान देना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट के साथ किए गए वायदो को पूरा किया जाना चाहिए। हालांकि एबीपी न्यूज से कांग्रेस के सूत्रों ने सचिन पायलट के बगावत की खबरों का खंडन करते हुए गलत बताया है। और कहा कि पायलट से किये वायदो मे से काफी पूरे किए जा चुके हैं और जल्दी ही बाकी भी पूरे किए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक 30 लोगों के मंत्रिमंडल वाले राज्य राजस्थान में 9 पद खाली है। जिनको जल्द ही भरा जाना है और कोविड के हालात सुधरते हीं ये किया जाएगा। अब सूत्रों की मानें तो इनमें से ज्यादातर पदों पर पायलट अपने लोगों को मंत्री बनवाना चाहते हैं।
हालांकि, अभी कांग्रेस और मुख्यमंत्री गहलोत के असमंजस की स्थिति है। इसके पीछे का कारण यह है कि जब अशोक गहलोत के पास जब खुद बहुमत नहीं था तब उन्होंने 6 बसपा से आए और 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन लिया था और अगर इस बार उनमें से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया तो मुश्किल खड़ी हो सकती है।
वहीं पिछली 24 लोगों के मंत्री मंडल में बनाए गए मंत्री में से 6 पायलट समर्थक हैं। 6 जिनमें से 3 कैबिनेट मंत्री थे, मगर बाद में ये 6 लोग पाला बदलकर गहलोत खेमे में आ गए थे। सूत्रों का कहना है कि ये फिर से पायलट गुट में शामिल हो सकते हैं अगर ये ऐसा करते हैं तो इसे नेतृत्व की वादा खिलाफी भी नहीं कहा जा सकता है।
सूत्रों का कहना है कि जल्दी हीं, कोविड के हालात सुधरने के बाद होने वाले मंत्रीमंडल विस्तार में सचिन पायलट से बात करके उनके कुछ और समर्थकों को जगह भी दी जाएगी और उनके बाकी समर्थकों को बोर्ड काररेशनो और पार्लियामेंट्री सचिव जैसे पदों पे जगह भी दी जाएगी। लिहाज़ा राजस्थान में गहलोत सरकार सुरक्षित है।
केन्द्र के संगठन में पायलट निभा सकते हैं बड़ी ज़िम्मेदारी
मिली जानकारी के अनुसार केंद्र की संगठन में सचिन को जल्दी हीं बड़ी ज़िम्मेदारी भी दी जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक़, कांग्रेस नेतृत्व ने इस बात पर पायलट को पहले हीं समझा कर उनके साथ सहमति बना ली थी कि उनकी बड़ी भूमिका राज्य में नहीं केन्द्र में होगी। सूत्रों ने कहा कि सचिन पायलट के साथ केवल कुछ विधायकों का उनके घर पर जाकर मिलना पायलट की बगावत नहीं है।