केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में प्रवासी भारतीयों के लिए वैभव फैलोशिप की शुरुआत की
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर भारतीय प्रवासियों के लिए वैभव फैलोशिप योजना की शुरुआत की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में कहा कि वैभव फैलोशिप का उद्देश्य विदेशी संस्थानों से भारत में शिक्षकों/शोधकर्ताओं की मोबिलिटी के माध्यम से भारतीय संस्थानों व विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहभागिताओं के द्वारा भारत के उच्च शैक्षणिक संस्थानों के अनुसंधान इकोसिस्टम में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर की परियोजनाओं को पूरा करने और उत्पादों की आपूर्ति के लिए भारत की प्रतिभाओं के साथ प्रतिभाशाली प्रवासी सहयोग करेंगे।
मंत्री ने बताया आवेदक को अनिवासी भारतीय (एनआरआई), भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) या भारत के विदेशी नागरिक (ओसीआई) होना चाहिए और उनके पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पीएचडी/एमडी/एमएस की डिग्री हो। इसके अलावा आवेदक को अनुसंधान और विकास के प्रमाणित ट्रैक रिकॉर्ड के साथ एक विदेशी शैक्षणिक/अनुसंधान/औद्योगिक संगठन में एक शोधकर्ता होने के साथ भारत में एक शोध संस्थान/शैक्षणिक संस्थान में एक साल में कम से कम 1 महीने से लेकर अधिकतम 2 महीने तक काम करने की योजना होनी चाहिए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने प्रमुख संबोधन में कहा कि मई, 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यभार संभाला, उस समय से विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की प्राथमिकताओं और लक्ष्यों में स्पष्ट परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा कि उससे पहले प्रतिभा और क्षमताओं की कोई कमी नहीं थी, लेकिन 2014 में नीति नियोजन स्तर के साथ-साथ राजनीतिक व्यवस्था, दोनों की ओर से सहायता प्रदान की गई।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिष्ठित श्रोताओं को स्मरण दिलाया कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने अब तक के अपने नौ स्वतंत्रता दिवस संबोधनों में ऐतिहासिक वैज्ञानिक पहलों की घोषणा की है। उन्होंने 15 अगस्त, 2014 का उल्लेख किया, जब स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण को लेकर की गई थी, जिससे ग्रामीण गरीबों, विशेषकर युवा लड़कियों और महिलाओं को स्वास्थ्य व स्वच्छता के मामले में बड़ी राहत प्राप्त हुई थी। इसी तरह प्रधानमंत्री ने साल 2015 के स्वतंत्रता दिवस पर “स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया” की एक अन्य ऐतिहासिक घोषणा थी। इसके बाद डिजिटल इंडिया, जिसने डीबीटी, जेएएम (जनधन, आधार व मोबाइल) ट्रिनिटी और यूपीआई की शुरुआत की, फिर गगनयान मिशन, डिजिटल स्वास्थ्य, डीप सी (गहरा समुद्र) मिशन है। वहीं, पिछले साल उन्होंने “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान” का आह्वान करके नवोन्मेष को आगे बढ़ाया था। मंत्री ने आगे कहा कि इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लगातार दो स्वतंत्रता भाषणों यानी 2021 में डिजिटल स्वास्थ्य मिशन और 2022 में डीप सी मिशन का उल्लेख किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम 2015 तक वैश्विक नवाचार सूचकांक में 130 देशों में 81वें नंबर पर थे, लेकिन 2022 में हम 40वें स्थान पर पहुंच गए हैं। आज भारत पीएचडी और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के मामले में विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल है। इसके अलावा मंत्री ने बताया कि पिछले 9 वर्षों के दौरान कई प्रकाशनों (नेशनल साइंस फाउंडेशन डेटाबेस के आधार पर 2013 में वैश्विक स्तर पर 6वें स्थान से अब तीसरे पर), पेटेंट (निवासी पेटेंट जमा करने के मामले में वैश्विक स्तर पर 9वां स्थान) और शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता (2013 में 13वें से अब वैश्विक स्तर पर 9वां स्थान) के मामले में देश के समग्र प्रदर्शन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह कहकर अपने संबोधन का समापन किया कि भारत की वैज्ञानिक शक्ति अगले 25 वर्षों यानी अमृत काल में भारत की भविष्य की अर्थव्यवस्था को परिभाषित और निर्धारित करेगी।
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने अपने संबोधन में बताया कि डॉ. जितेंद्र सिंह ने जी-20 की भारत की अध्यक्षता के अनुरूप इस साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की विषयवस्तु “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” को चुना है। उन्होंने कहा कि भारत सभी की बेहतरी के लिए वैज्ञानिक प्रगति को बढ़ावा देने को लेकर जी-20 और अन्य देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार भारत की आर्थिक प्रगति के मुख्य आधार बन चुके हैं।
डीएसटी के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की सोच को साकार करने में एसटीआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार विज्ञान विषय को बड़ी प्राथमिकता दे रही है और इस साल भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बजट आवंटन में बढ़ोतरी की गई है।
इस समारोह में पूर्व पीएसए प्रोफेसर के विजय राघवन, डीबीटी के सचिव डॉ. राजेश गोखले, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन के साथ पूर्व सचिवों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।