कौन हैं जस्टिस यूयू ललित? जो बन सकते हैं भारत के अगले सीजेआई
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना का कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। इस बीच आज मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने अपने उत्तराधिकारी का घोषणा कर दिया है। उन्होंने अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति यूयू ललित के नाम की सिफारिश की है। जस्टिस ललित भारत के 48वें सीजेआई बनेंगे।
https://twitter.com/ANI/status/1555068974903152641?t=3UXdc5SZcxByzLk9xkKtXw&s=19
कौन हैं जस्टिस यूयू ललित?
जस्टिस यूयू ललित का पूरा नाम उदय उमेश ललित है। वह वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हैं। न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में एक सीनियर वकील के रूप में प्रैक्टिस की है। न्यायमूर्ति ललित अब तक सीधे सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने वाले छठे वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एके गांगुली की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में जस्टिस ललित को केंद्रीय जांच ब्यूरो का विशेष अभियोजक भी नियुक्त किया था।
कैसा रहा है ललित का करियर?
जस्टिस ललित महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। वह जून 1983 में बार में शामिल हुए और 1986 से शीर्ष अदालत में प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने 1986 से 1992 तक पूर्व अटॉर्नी-जनरल, सोली जे. सोराबजी के साथ काम किया। 09 नवंबर 1957 को जन्मे जस्टिस ललित जून 1983 में एक वकील के रूप में नामांकित हैं। उन्होने दिसंबर, 1985 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। जनवरी, 1986 से उन्होंने दिल्ली में प्रैक्टिस शुरू कर दी। अप्रैल, 2004 में वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किए गए। वह दो कार्यकालों के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कानूनी सेवा समिति के सदस्य बने और 13 अगस्त 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए।
तीन तलाक के अलावा इन अहम फैसलों का भी रहे हैं हिस्सा
जस्टिस एनवी रमना 26 अगस्त को अपने पद से रिटायर होंगे। उसके अगले ही दिन जस्टिस यूयू ललित पदभार संभालेंगे। जस्टिस ललित देश के नामी वकीलों में से एक रहे हैं और उन्हें 13 अगस्त, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति मिली थी। तब से अब तक वह सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर के रखरखाव से जुड़े मामले में भी उन्होंने फैसला सुनाया था। यही नहीं पॉक्सो ऐक्ट को लेकर भी अहम फैसला सुनाने वाली बेंच के भी जस्टिस यूयू ललित सदस्य थे। इस फैसले में कहा गया था कि यदि कोई गलत मंशा से बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स को छूता है तो फिर उसे भी पॉक्सो ऐक्ट के सेक्शन 7 के तहत यौन उत्पीड़न माना जाएगा।