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सत्य व्यास का लेटेस्ट धमाका, कैसी है ‘उफ़्फ़ कोलकाता’

सत्य व्यास को पढ़ना उसी तरह है, जैसे गाँव में बरगद के नीचे बैठना, जैसे दोस्तों के साथ ताश खेलना, जैसे रात में चाँद को निहारना, जैसे कविताएँ लिखना, या फिर तुम्हें निहारना

मैंने पहले ही इतनी तारीफ कर दी, तो आपको ये तो समझ में आ गया होगा कि फैन हम गर्दा वाले हैं। ऐसे में किताब की रिव्यु लिखना मेरे लिए और भी मुश्किल हो जाता है। फिर भी कोशिश कर रहे हैं सत्य व्यास सर की नई किताब ‘उफ़्फ़ कोलकाता’ का रिव्यु लिखने की। मेरे इस कोशिश के लिए आप मुझे बधाई दे सकते हैं।

‘उफ़्फ़ कोलकाता’ के बारे में बात करने से पहले कि औपचारिकता है कि आपको हम लेखक के बारे में बता दे।

बात इतनी सी है कि साहब चार किताबें पहले लिख चुकें हैं, पढ़ने – लिखने का शौक है, नए लेखकों को जमकर प्रोमोट करते हैं। नौकरी करते हुए किताब लिखने जैसी मुश्किल काम कर लेते हैं। पहले की चार किताबें धमाका कर चुकी हैं। जागरण – नेलसन ने बेस्ट सेलर राइटर का टैग दिया हैं।

अब आते हैं ‘उफ़्फ़ कोलकाता’ पर

उफ़्फ़ कोलकाता

उफ़्फ़ कोलकाता

ये किताब हिंदी की पहली किताब है जो हॉरर कॉमेडी में लिखी गई है। हॉरर कॉमेडी मतलब जो आपको डरा भी दे, हँसा भी दे। अब ये किताब आपको कितना डरा देगी, कितना हँसा देगी उसपर बात कर लेते हैं।

मैं किसी किताब का मूल्यांकन उस हिसाब से करता हूँ कि मैंने उसे पढ़ते समय कितनी बार ब्रेक ली। मेरे साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि शुरू की हुई आधी से ज्यादा किताब के अंतिम पन्ने तक नहीं पहुँच पता हूँ। ‘उफ़्फ़ कोलकाता’ मैंने न सिर्फ पूरी पढ़ ली बल्कि बिना रुके पढ़ी(बिना रुके मतलब जैसे हम सचिन को बैटिंग करते हुए देखते थे। बीच में कोई नहीं, कुछ भी नहीं )

‘उफ़्फ़ कोलकाता’ की कहानी कोलकाता की है। हर कहानी की तरह इसमें भी कुछ किरदार है और हर किरदार की एक अपनी कहानी है। कहानी तीन कॉलेज स्टूडेंट्स, एक प्रोफेसर और रहस्यमय औरतों की है। इस कहानी में हॉरर और हास्य का जबरदस्त मिश्रण है। कहानी आपको डराते – डराते अचानक हँसा देती है। कहानी को इतने रोचक ढंग से पेश किया गया है कि आप एक सेकंड के लिए भी बोर नहीं होंगे। कहानी कोलकाता के एक विश्वविद्यालय की है। इसी विश्वविद्यालय की हॉस्टल कुछ छात्रों के गलती के वजह से शापित हो जाती है। छात्रों और आत्मा के बीच की चल रही जद्दोजहद को कहानी में पिरोया गया है और क्या बखूबी पिरोया गया है। हालांकि, बहुचर्चित किरदार मोहिनी को आप किताब के अंत से पहले ही पहचान लेंगे, लेकिन उसके बाद भी यह किताब आपको बांधे रखने कि काबिलियत रखती है। व्यास की हर किताब की तरह इसमें भी शहर को प्रत्यक्ष और जिवंत रूप से दिखाया गया है। इस कहानी में आप कोलकाता को महसूस कर पाएंगे।

तो अगर आप रोमांचक कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं तो ये किताब आपके लिए ही है। पढ़िए इसे और मोहिनी से मुलाकात कर लीजिए।

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